H-1B वीजा नियम सिर्फ नए आवेदनों पर लागू, अमेरिका बोला – भारत से जल्दबाजी में लौटने की जरूरत नहीं
नई दिल्ली, 20 सितम्बर। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के बाद H-1B वीजा पर लगाए गए वार्षिक एक लाख डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) की भारी-भरकम फीस को लेकर मचे हड़कंप के बीच अमेरिकी प्रशासन ने अब स्पष्टीकरण दिया है। शनिवार को एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह नई फीस केवल नए वीजा आवेदकों पर लागू होगी। पहले से वीजा धारक भारतीय या अन्य प्रोफेशनल्स को फिलहाल इसकी चिंता करने की जरूरत नहीं है।
कहने का तात्पर्य यह कि अमेरिका द्वारा घोषित नई H-1B वीज़ा फीस केवल नए आवेदकों पर लागू होगी न कि मौजूदा वीजा धारकों पर। एक वरिष्ठ अमेरिकी प्रशासनिक अधिकारी ने मीडिया को बताया, ‘जो लोग पहले से अमेरिका में हैं, बाहर जा रहे हैं या भारत आने-जाने वाले हैं, उन्हें रविवार से पहले लौटने की कोई जरूरत नहीं है। 100,000 डॉलर की नई फीस केवल नए आवेदनकर्ताओं के लिए है, मौजूदा धारकों के लिए नहीं।’
यह स्पष्टीकरण ऐसे समय आया है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को (अमेरिकी समयानुसार) एक नया राष्ट्रपति उद्घोषणा पत्र जारी किया। इसका शीर्षक था – “Restriction on Entry of Certain Nonimmigrant Workers”, जिसके तहत H-1B वीजा कार्यक्रम में बड़े बदलाव किए गए हैं। नए नियम के तहत H-1B वीजा आवेदन पर सालाना 100,000 डॉलर यानी करीब 88 लाख रुपये की भारी फीस लगाई जाएगी। इस कदम से अमेरिका में काम करने वाले बाहरी प्रोफेशनल्स की टेंशन बढ़ गई है।
अमेरिकी टेक कम्पनियां मौजूदा वीजा धारकों को तुरंत बुला रही थी वापस
यह नियम रविवार, 21 सितम्बर को अमेरिकी समयानुसार रात 12.01 बजे से लागू हो रहा है। इसकी घोषणा के बाद से ही इमिग्रेशन वकील और माइक्रोसॉफ्ट व जेपी मॉर्गन सरीखी बड़ी अमेरिकी कम्पनियां मौजूदा H-1B वीजा धारकों या उनके परिवारों को तुरंत अमेरिका लौटने की सलाह दे रही थीं ताकि वे अतिरिक्त बोझ से बच सकें। इससे लोगों में तनाव का माहौल व्याप्त हो गया था।
कम्पनियों ने यह भी कहा था कि H-4 वीजाधारक (परिवार) को भी अमेरिका में ही रहना चाहिए। माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी टेक कम्पनियों ने अपने कर्मचारियों को ‘foreseeable future’ तक अमेरिका में बने रहने की सलाह दी थी ताकि प्रवेश से वंचित होने का खतरा न रहे। हालांकि, अब प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि मौजूदा धारकों को इस नई फीस का भुगतान नहीं करना होगा।
अब तक सिर्फ इतनी थी वीजा की फीस
गौरतलब है कि अब तक H-1B वीजा के लिए फीस 2,000 से 5,000 डॉलर के बीच थी। ऐसे में यह बढ़ोतरी ऐतिहासिक रूप से सबसे बड़ी मानी जा रही है, जिससे खासतौर पर स्टार्टअप, छोटे कारोबार और भारतीय आईटी पेशेवरों पर गहरा असर पड़ने की आशंका है। अमेरिकी नागरिकता और एमिग्रेशन सर्विस (यूएससीआईएस) के ताजा आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर, 2022 और सितम्बर, 2023 के बीच जारी किए गए लगभग चार लाख H-1B वीजा में से 72 प्रतिशत भारतीयों के हैं।
भारत सरकार ने भी जारी किया बयान
वहीं ट्रंप के नए वीजा आदेश के बाद भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने भी इस मामले पर बयान जारी किया है। मंत्रालय ने शनिवार की शाम जारी एक बयान में कहा कि भारत सरकार ने इन रिपोर्टों को देखा है और इसके पूरी तरह प्रभावों का अध्ययन किया जा रहा है। भारतीय उद्योग ने भी प्रारंभिक विश्लेषण जारी कर H-1B कार्यक्रम से जुड़ी कुछ भ्रांतियों को स्पष्ट किया है।
