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स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति मुर्मु का राष्ट्र के नाम संबोधन – मजबूत लोकतंत्र और विकास का आह्वान

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति मुर्मु का राष्ट्र के नाम संबोधन – मजबूत लोकतंत्र और विकास का आह्वान

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नई दिल्ली, 14 अगस्त। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने अपने संबोधन में कहा, ‘स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस हर भारतीय के लिए गर्व के क्षण हैं, जो हमें भारतीय होने का अहसास कराते हैं।’ उन्होंने 1947 के देश विभाजन की त्रासदी को याद करते हुए कहा, ‘हमें विभाजन से हुई पीड़ा और उस समय हुए भयानक हिंसक घटनाक्रम को कभी नहीं भूलना चाहिए।’

‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ पर विभाजन के शिकार लाखों लोगों को श्रद्धांजलि दी

राष्ट्रपति मुर्मु ने इस अवसर पर ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ पर विभाजन के शिकार हुए लाखों लोगों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि विभाजन के समय भयंकर हिंसा हुई और करोड़ों लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े। अगस्त, 1947 में ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता के साथ ही भारत का विभाजन हुआ और भारत तथा पाकिस्तान दो स्वतंत्र राष्ट्र बने। इस विभाजन ने पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में लाखों लोगों की जिंदगी तबाह कर दी। दंगे, अशांति, हिंसा, वैमनस्य, नरसंहार, लूटपाट, भुखमरी और दुनिया के इतिहास में सबसे बड़े जबरन पलायन में से एक इस समय हुआ। पंजाब और बंगाल जैसे प्रांतों ने इस त्रासदी का सबसे भयावह असर देखा, जिसकी चोट आज भी महसूस की जाती है।

भारत सही मायनों में ‘लोकतंत्र की जननी’

द्रौपदी मुर्मु ने यह भी कहा, “स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद भारत ने सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के साथ लोकतंत्र को अपनाया, जिसमें लिंग, धर्म और अन्य किसी भी आधार पर कोई भेदभाव नहीं था। कई चुनौतियों के बावजूद भारत ने सफलतापूर्वक लोकतंत्र की ओर कदम बढ़ाया, जो हमारे प्राचीन लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रतीक है। भारत दुनिया के सबसे पुराने गणराज्यों का घर है और इसे सही मायनों में ‘लोकतंत्र की जननी’ कहा जाता है। संविधान अपनाने के बाद हमने मजबूत लोकतांत्रिक संस्थाएं बनाईं और संविधान व लोकतंत्र को सर्वोपरि माना।”

राष्ट्रीय खेल नीति में व्यापक बदलावों से वैश्विक खेल महाशक्ति बनेगा भारत

राष्ट्रपति मुर्मु ने राष्ट्रीय खेल नीति 2025 का भी जिक्र करते हुए कहा कि इसके तहत जिन बदलावों की परिकल्पना की जा रही है, उनके बल पर भारत एक वैश्विक खेल महाशक्ति के रूप में उभरेगा। उन्होंने अपने संबोधन में इस बात का विशेष रूप से उल्लेख किया कि विश्व शतरंज चैम्पियनशिप के लिए ‘फिडे महिला विश्व कप’ फाइनल मैच में भारत की दो खिलाड़ी दिव्या देशमुख (विजेता) और कोनेरू हम्पी (उप विजेता) आमने-सामने थीं।

देश के युवा, खेल-जगत में अपनी पहचान बना रहे

उन्होंने उल्लेख किया कि देश के युवा, खेल-जगत में अपनी पहचान बना रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘उदाहरण के लिए शतरंज में अब भारत के युवाओं का जैसा वर्चस्व है वैसा पहले कभी नहीं था। राष्ट्रीय खेल नीति 2025 में निहित दृष्टिकोण के अनुरूप, हम ऐसे आमूल बदलावों की परिकल्पना कर रहे हैं जिनके बल पर, भारत एक वैश्विक खेल महाशक्ति के रूप में उभरेगा।’

विश्व महिला शतरंज चैम्पियन दिव्या व उपजेता हम्पी की खुलकर तारीफ की

राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा, “हमारी बेटियां हमारा गौरव हैं। वे प्रतिरक्षा और सुरक्षा सहित हर क्षेत्र में अवरोधों को पार करके आगे बढ़ रही हैं। खेल-कूद को उत्कृष्टता, सशक्तीकरण और क्षमताओं का महत्वपूर्ण संकेतक माना जाता है। विश्व शतरंज चैम्पियनशिप के लिए ‘फिडे महिला विश्व कप’ का फाइनल मैच, 19 वर्ष की भारत की एक बेटी और 38 वर्ष की एक भारतीय महिला के बीच खेला गया। यह उपलब्धि, पीढ़ी-दर-पीढ़ी, हमारी महिलाओं में विद्यमान, विश्व-स्तर की सतत उत्कृष्टता को रेखांकित करती है।’’

राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि रोजगार में भी लैंगिक असमानता कम हो रही है तथा ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ से, महिला सशक्तीकरण, अब केवल एक नारा न रहकर, यथार्थ बन गया है। उन्होंने कहा, ‘हमारे युवाओं को अपने सपनों को साकार करने के लिए अनुकूल परिस्थितियां मिल गई हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से दूरगामी बदलाव किए गए हैं। शिक्षा को जीवन-मूल्यों से तथा कौशल को परंपरा के साथ जोड़ा गया है।’

युवा प्रतिभाओं की ऊर्जा से हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम का अभूतपूर्व विस्तार

द्रौपदी मुर्मु ने कहा, “युवा प्रतिभाओं की ऊर्जा से शक्ति प्राप्त करके, हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम का अभूतपूर्व विस्तार हुआ है। मुझे विश्वास है कि शुभांशु शुक्ला की अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा ने एक पूरी पीढ़ी को ऊंचे सपने देखने की प्रेरणा दी है। यह अंतरिक्ष यात्रा भारत के आगामी मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम ‘गगनयान’ के लिए अत्यंत सहायक सिद्ध होगी।’’

उन्होंने 15 अगस्त की ऐतिहासिक महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि औपनिवेशिक शासन के लंबे वर्षों में पीढ़ियों ने स्वतंत्रता का सपना देखा। देश के हर कोने से महिला-पुरुष, युवा-बुजुर्ग विदेशी शासन से मुक्ति चाहते थे। उनके संघर्ष का आशावाद आज भी हमारे प्रगति पथ का प्रेरणास्रोत है। उन्होंने कहा, ‘कल जब हम तिरंगे को सलामी देंगे, तो हम उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को भी श्रद्धांजलि देंगे जिनके बलिदानों से हमें आजादी मिली।’

पीएम मोदी लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करेंगे

गौरतलब है कि देश 15 अगस्त, 2025 को 79वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करेंगे और राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे। इस वर्ष का विषय ‘नया भारत’ है, जो सरकार के ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य को दर्शाता है। यह समारोह एक समृद्ध, सुरक्षित और साहसी नए भारत के निरंतर उदय को मनाने और देश को प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ाने की शक्ति प्रदान करने का अवसर होगा।

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