केंद्रीय कैबिनेट का फैसला : खरीफ सीजन से पहले धान, दाल और तिलहन की 14 फसलों के लिए MSP में वृद्धि
नई दिल्ली, 28 मई। मोदी कैबिनेट की आर्थिक मामलों की समिति ने बुधवार को 2025–26 विपणन सत्र के लिए 14 खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि को मंजूरी दे दी। इनमें नाइजर सीड (रामतिल) को 820 रुपये प्रति क्विंटल की सबसे बड़ी वृद्धि मिली, इसके बाद रागी में 596 रुपये प्रति क्विंटल, कपास में 589 रुपये प्रति क्विंटल और तिल (सेसम) में 579 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई। मुख्य खाद्यान्न धान के लिए MSP 69 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है।
अरहर का MSP 450, मूंग का 86 और उड़द का 400 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा
दालों की श्रेणी में, तूर (अरहर) का MSP 450 रुपये, मूंग का 86 रुपये और उड़द का 400 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है। तिलहनों में, मूंगफली, सूरजमुखी बीज और सोयाबीन के समर्थन मूल्य क्रमशः 480, 441 और 436 रुपये बढ़ाए गए हैं। इस कदम से किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्ति में मदद मिलने और आयात पर निर्भरता कम होने की उम्मीद है।
यह वृद्धि 2018-19 के केंद्रीय बजट की घोषणा के अनुरूप
यह वृद्धि 2018-19 के केंद्रीय बजट की उस घोषणा के अनुरूप है, जिसमें MSP को देशव्यापी औसत उत्पादन लागत का न्यूनतम 1.5 गुना निर्धारित करने की बात कही गई थी। सरकार के अनुसार, किसानों को उनकी लागत पर सबसे अधिक लाभांश बाजरे में 63 प्रतिशत अनुमानित है, इसके बाद मक्का और तूर में 59 प्रतिशत, और उड़द में 53 प्रतिशत। बाकी फसलों के लिए लाभांश कम से कम 50 प्रतिशत होने का अनुमान है।
कैबिनेट ने विपणन सीजन 2025-26 के लिए 14 खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को मंजूरी दी।
सरकार ने विपणन सीजन 2025-26 के लिए खरीफ फसलों के एमएसपी में वृद्धि की है, जिससे उत्पादकों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किया जा सके।
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— पीआईबी हिंदी (@PIBHindi) May 28, 2025
सरकार ने कहा है कि हाल के वर्षों में उसने दालों, तिलहनों और पोषक-अनाजों की, जिन्हें श्री अन्न भी कहा जाता है, खेती को प्रोत्साहित करने के लिए तुलनात्मक रूप से अधिक MSP प्रदान किए हैं। इसका उद्देश्य न केवल किसानों की आय बढ़ाना है, बल्कि पोषण सुरक्षा और फसल विविधता को भी बढ़ावा देना है।
सरकार द्वारा साझा किए गए आंकड़े पिछले एक दशक में किसानों के लिए खरीद और वित्तीय सहायता में महत्वपूर्ण वृद्धि को दर्शाते हैं। 2014-15 से 2024-25 के दौरान धान की खरीद 7,608 लाख मीट्रिक टन (LMT) रही, जबकि 2004-05 से 2013-14 के दौरान यह 4,590 LMT थी। सभी 14 खरीफ फसलों के लिए कुल खरीद इसी अवधि में 7,871 LMT रही, जो पिछले दशक के 4,679 LMT से कहीं अधिक है।
एक दशक में धान किसानों को MSP के तहत 14.16 लाख करोड़ का भुगतान
पिछले एक दशक में धान किसानों को MSP के तहत 14.16 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जबकि 2004-05 से 2013-14 के बीच यह 4.44 लाख करोड़ रुपये था। इसी तरह, सभी 14 खरीफ फसलों के लिए कुल MSP भुगतान 16.35 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पहले की अवधि के 4.75 लाख करोड़ रुपये की तुलना में तीव्र वृद्धि है।
गौरतललब है कि भारत तीन मौसमी फसल चक्र का पालन करता है। खरीफ फसलें – जो मानसून पर निर्भर होती हैं, जून-जुलाई में बोई जाती हैं और अक्टूबर-नवंबर में काटी जाती हैं। रबी फसलें मानसून के बाद अक्टूबर-नवम्बर में बोई जाती हैं और जनवरी से कटाई शुरू होती है और गर्मी की फसलें रबी और खरीफ के बीच की अवधि में उगाई जाती हैं।
