केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह की घोषणा – भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अगले माह अंतरिक्ष यात्रा के लिए तैयार
नई दिल्ली, 18 अप्रैल। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री मंत्री जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार को जानकारी दी कि भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अगले माह एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा करने वाले हैं। यह यात्रा राकेश शर्मा की रूस के सोयूज अंतरिक्ष यान से की गई प्रतिष्ठित अंतरिक्ष उड़ान के चार दशक बाद की है।
भारत अंतरिक्ष अन्वेषण के एक नए युग में साहसपूर्वक कदम रख रहा
डॉ. जितेंद्र सिंह ने यहां अंतरिक्ष विभाग और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के कार्यों की समीक्षा के बाद यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा, ‘ग्रुप कैप्टन शुक्ला की यात्रा महज एक उड़ान नहीं है – यह एक संकेत है कि भारत अंतरिक्ष अन्वेषण के एक नए युग में साहसपूर्वक कदम रख रहा है।” इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने इस अवसर पर विभिन्न आगामी अंतरिक्ष मिशनों पर एक प्रस्तुति दी।
India poised to script a defining chapter in its Space journey, as the international Space mission carrying an Indian astronaut to the International Space Station (ISS) has been scheduled for next month, May 2025. Group Captain Shukla is to become the first Indian ever to visit… pic.twitter.com/NvyaFWfi8u
— Dr Jitendra Singh (@DrJitendraSingh) April 18, 2025
नासा के साथ संयुक्त रूप से विकसित निसार उपग्रह का जून में प्रक्षेपण
डॉ. सिंह ने कहा कि इसरो जून में जीएसएलवी-मार्क 2 रॉकेट के जरिए नासा के साथ संयुक्त रूप से विकसित निसार उपग्रह को प्रक्षेपित करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि जुलाई में अंतरिक्ष एजेंसी भारी-भरकम एलवीएम-3 रॉकेट का उपयोग करके अमेरिका स्थित एएसटी स्पेसमोबाइल इंक के ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करेगी।
जितेंद्र सिंह ने कहा कि ग्रुप कैप्टन शुक्ला का मिशन, जो मई में निर्धारित है, भारत के बढ़ते अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष सहयोग में एक मील का पत्थर है। भारतीय वायु सेना के एक सम्मानित परीक्षण पायलट, ग्रुप कैप्टन शुक्ला को इसरो के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के तहत चुना गया था और वे गगनयान मिशन के शीर्ष दावेदारों में से एक हैं।

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि एक्सिओम-4 मिशन पर उनकी यात्रा से अंतरिक्ष उड़ान संचालन, प्रक्षेपण प्रोटोकॉल, माइक्रोग्रैविटी अनुकूलन और आपातकालीन तैयारियों में महत्वपूर्ण व्यावहारिक अनुभव प्राप्त होने की उम्मीद है – जो भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं के लिए आवश्यक है। इसमें कहा गया है, ‘शुक्ला के मिशन को जो बात अलग बनाती है, वह है इसका रणनीतिक महत्व। भारत के पहले मानव अंतरिक्ष यान के प्रतीकात्मक निहितार्थों के विपरीत, इस बार फोकस परिचालन तत्परता और वैश्विक एकीकरण पर है।’
बयान में कहा गया है कि शुक्ला की भागीदारी अंतरिक्ष में सार्वजनिक-निजी अंतरराष्ट्रीय साझेदारी के साथ भारत की बढ़ती भागीदारी और मानव अंतरिक्ष अन्वेषण में एक गंभीर प्रतियोगी के रूप में उभरने के उसके संकल्प को रेखांकित करती है।
जितेंद्र सिंह ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ सहयोग और गगनयान जैसी परियोजनाओं की रणनीतिक गति अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में वैश्विक नेता बनने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि ये प्रयास न केवल वैज्ञानिक प्रकृति के हैं, बल्कि विकसित और आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप भी हैं।
पीएसएलवी-सी61 मिशन को भी लॉन्च करने की योजना
इसरो ने ईओएस-09 उपग्रह को ले जाने वाले पीएसएलवी-सी61 मिशन को भी लॉन्च करने की योजना बनाई है, जो सी-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार से लैस है, जो दिन या रात, सभी मौसम की स्थिति में पृथ्वी की सतह की उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरें लेने में सक्षम है।
एक अन्य महत्वपूर्ण मील का पत्थर टेस्ट ह्वीकल-डी2 (टीवी-डी2) मिशन होगा, जिसे निरस्त परिदृश्य का अनुकरण करने और गगनयान क्रू एस्केप सिस्टम का प्रदर्शन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। उन्होंने कहा कि इस मिशन में क्रू मॉड्यूल के लिए समुद्री पुनर्प्राप्ति ऑपरेशन शामिल हैं, जो भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए नियोजित प्रक्रियाओं की नकल है।
