अदाणी समूह को बड़ी राहत : धारावी पुनर्विकास परियोजना पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
नई दिल्ली, 7 मार्च। अदाणी समूह को बड़ी राहत मिली, जब सुप्रीम कोर्ट मायानगरी मुंबई में उसकी धारावी पुनर्विकास परियोजना पर शुक्रवार को रोक लगाने से इनकार कर दिया। हालांकि शीर्ष अदालत ने अदाणी ग्रुप के सामने कुछ शर्तें रखी हैं और कहा है कि उसे (अदाणी समूह) दिया गया प्रोजेक्ट ‘अदालती आदेशों के अधीन’ है।
सेशेल्स के सेकलिंक ग्रुप ने याचिका में लगाया था घोटाले का आरोप
सुप्रीम कोर्ट ने सेशेल्स के सेकलिंक ग्रुप (SecLink Group) की ओर से दाखिल एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। सेकलिंक ग्रुप ने धारावी पुनर्विकास परियोजना का करार अदाणी ग्रुप को दिए जाने की प्रक्रिया में कथित घोटाले का आरोप लगाया था। ग्रुप का दावा है कि अदाणी ग्रुप को यह ठेका देने के लिए शर्तों में बदलाव किया गया।
याचिका में दावा किया गया था कि टेंडर की शर्तों को अदाणी समूह की कम्पनी अदाणी प्रॉपर्टीज के पक्ष में बदल दिया गया था। सेकलिंक ने दावा किया कि अदाणी प्रॉपर्टीज की बोली 5,069 करोड़ रुपये की थी, जबकि सेकलिंक की बोली 7,200 करोड़ रुपये थी और वह बोली को आगे बढ़ाकर 8,640 करोड़ रुपये करने को तैयार थी, फिर भी उसे ठेके से बाहर कर दिया गया।
चूंकि सेंकलिंक ने 2018 में काफी बड़ी राशि के साथ सबसे ऊंची बोली लगाई थी। ऐसे में कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा कि क्या राज्य सरकार, टेंडर को रद करने की हकदार है और क्या सेकलिंक को बाहर करने के लिए शर्तों में फेरबदल किया गया था।
पहले ही शुरू हो चुका है धारावी पुनर्विकास का काम – अदाणी समूह
वहीं अदाणी ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि धारावी पुनर्विकास का काम पहले ही शुरू हो चुका है। इस पर कोर्ट ने परियोजना को रोकने से इनकार कर दिया, लेकिन अदाणी को सभी भुगतान के लिए एक सिंगल एस्क्रो अकाउंट में बनाने का निर्देश दिया, जिसमें सभी इनवॉयसेज शामिल हों। कोर्ट ने कहा कि वह एस्क्रो अकाउंट खोलने का आदेश इसलिए दे रहा है ताकि यदि बाद में अदाणी ग्रुप के खिलाफ फैसला आए या परियोजना को अमान्य माना जाए, तो वित्तीय लेनदेन को ट्रैक किया जा सके और यदि जरूरत हो तो उसे रद किया जा सके।
सेकलिंक ग्रुप ने इस मामले में सबसे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया था, लेकिन हाई कोर्ट ने दिसम्बर, 2024 में अदाणी प्रॉपर्टीज को प्रोजेक्ट दिए जाना का फैसला बरकरार रखा था। सेकलिंग ग्रुप ने बाद में हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 में सेकलिंक 7,200 करोड़ रुपये की बोली के साथ सबसे ऊंची बोली लगाने वाली कम्पनी के रूप में उभरी थी, लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने इस टेंडर को रद कर दिया। बाद में राज्य सरकार ने 2022 में नए शर्तों के साथ एक नया टेंडर जारी किया और अदाणी प्रॉपर्टीज 5,069 रुपये करोड़ की बोली के साथ सबसे बड़ी बोली लगाने वाली कम्पनी के रूप में उभरी।
सेकलिंक ने टेंडर रद करने पर उठाया है सवाल
सेकलिंक ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में, टेंडर रद करने पर सवाल उठाया और 2018 में सबसे ऊंची बोली लगाने वाली कम्पनी होने का हवाला दिया। ग्रुप ने दलील दी कि अदाणी ग्रुप को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर की शर्तें बदली गईं और इस बदलाव के पीछे ‘बाहरी कारण’ थे।
मामले की अगली सुनवाई 25 मई को
सेकलिंक ने कोर्ट से कहा, ‘मैंने कभी किसी सरकार को पुनर्विकास के लिए कम पैसे मांगते नहीं देखा। अदाणी को रियायतें दी गई हैं। यह एक ऐसा घोटाला है, जो अदालत की अंतरात्मा को झकझोर देगा। 2018 में अदाणी की 5,069 करोड़ रुपये की बोली के पक्ष में 7,200 करोड़ रुपये की बोली खारिज कर दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष, हम अब अपनी बोली को और बढ़ाकर 8,640 करोड़ रुपये कर रहे हैं।” सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 25 मई को निर्धारित की है।
