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विश्व शतरंज चैम्पियन गुकेश बोले – ‘मुझे खुशी है कि मैंने बचपन का स्वप्न हकीकत में बदल दिया’

विश्व शतरंज चैम्पियन गुकेश बोले – ‘मुझे खुशी है कि मैंने बचपन का स्वप्न हकीकत में बदल दिया’

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सिंगापुर, 12 दिसम्बर। सबसे कम उम्र विश्व क्लासिकल शतरंज चैम्पियन बनने के साथ विश्व शतरंज में इतिहास रचने के बाद 18 वर्षीय भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश की पहली प्रतिक्रिया यही थी – ‘मैं बस अपना सपना जी रहा हूं।’

उल्लेखनीय है कि गुरुवार की शाम गुकेश ने उतार-चढ़ाव से भरे खिताबी मुकाबले की पांच घंटे तक खिंची रोमांचक 14वीं व आखिरी बाजी में खुद से 14 वर्ष बड़े गत चैम्पियन चीनी ग्रैंड मास्टर डिंग लिरेन को 58 चालों में हराया और विश्वनाथन आनंद के बाद विश्व खिताब जीतने वाले देश के दूसरे खिलाड़ी बन बैठे।

मुकाबला खत्म हुआ तो दोनों खिलाड़ी रो पड़े। एक की आंखों में खुशी के आंसू थे तो दूसरा निराशा में डूबा था। खैर, अपनी अविश्वसनीय जीत के बाद मृदुभाषी गुकेश ने कहा, ‘मैं पिछले 10 वर्षों से इस पल का सपना देख रहा था। मुझे खुशी है कि मैंने इस सपने को हकीकत में बदला। मैं थोड़ा भावुक हो गया था क्योंकि मुझे जीत की उम्मीद नहीं थी। लेकिन फिर मुझे आगे बढ़ने का मौका मिला।’

‘हर शतरंज खिलाड़ी इस पल को जीना चाहता है, मैं अपना सपना जी रहा हूं’

पिछले वर्ष बुडापेस्ट शतरंज ओलम्पियाड में भी भारतीय टीम को चैम्पियन बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले चेन्नईवासी गुकेश ने कहा, ‘मैं छह-सात वर्ष की उम्र से ही इस पल का सपना देख रहा था और इसे जी रहा था। हर शतरंज खिलाड़ी इस पल को जीना चाहता है। मैं अपना सपना जी रहा हूं। मैं कैंडिडेट्स से चैम्पियनशिप तक के सफर के लिए भगवान का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं।’

‘सबसे अधिक त्याग मेरे माता-पिता, परिवार और मित्रों ने किया है

अपनी उपलब्धि के लिए माता-पिता के योगदान के बारे में गुकेश ने कहा, ‘उनके लिए विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीतने का सपना मेरे सपने से बड़ा है। मुझे यहां तक पहुंचाने में सबसे अधिक त्याग मेरे माता-पिता, परिवार और मित्रों द्वारा किया गया है।’

‘विश्व चैम्पियनशिप में मैग्नस के खिलाफ खेलना अद्भुत होगा

मैग्नस लार्सन से संभावित टक्कर के बारे में गुकेश ने कहा, ‘जाहिर है कि विश्व चैम्पियनशिप में मैग्नस के खिलाफ खेलना अद्भुत होगा। यह शतरंज में सबसे कठिन चुनौती होगी। यह मैग्नस पर निर्भर है, लेकिन मैं दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के खिलाफ खुद को परखना पसंद करूंगा।’

इस उपलब्धि के लिए ईश्वर को धन्यवाद देते हुए गुकेश ने कहा, ‘शतरंज का आनंद लेते रहिए। आप एक दिन अपना सपना पूरा करने में सफल होंगे। मुझे भगवान पर भरोसा है और उन्होंने कई तरीकों से मेरी मदद की है। उदाहरण के लिए पिछले वर्ष मैं कैंडिडेट्स के लिए भी क्वालिफाई नहीं कर पाया था और फिर भगवान ने मुझे कई मौके दिए।’

‘विशी सर ने दूर से भी हमारी मदद की

देश के पहले विश्व चैम्पियन विश्वनाथ आनंद का जिक्र करते हुए गुकेश ने कहा, ‘विशी सर कभी भी आधिकारिक तौर पर टीम का हिस्सा नहीं थे, लेकिन हम सभी जानते हैं कि वह मेरा समर्थन कर रहे थे। उन्होंने एक प्रशिक्षण शिविर में भाग लिया, लेकिन कुछ सत्रों के लिए दूर से भी मदद की।’

गुकेश ने कहा, ‘जब मैग्नस ने खिताबी जीत हासिल की तो मैंने सोचा कि मैं वास्तव में भारत को खिताब वापस लाने वाला व्यक्ति बनना चाहता हूं।’ पहली बाजी के दौरान अपनी भावनाओं को दर्शाते हुए भारतीय स्टार ने कहा, ‘वर्ष 2013 में मैंने विशी सर और मैग्नस को देखा और सोचा, एक दिन वहां होना वाकई बहुत अच्छा होगा। और वास्तव में वहां होना और वहां बैठना और मेरे बगल में भारतीय ध्वज देखना शायद सबसे अच्छा पल था।’

‘मेरे लिए डिंग एक वास्तविक विश्व चैम्पियन हैं

दुनिया के 18वें विश्व चैम्पियन किशोरवय भारतीय स्टार ने अपने प्रतिद्वंद्वी डिंग लिरेन की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा, ‘डिंग के बारे में हम सब जानते हैं। वह कई वर्षों से इतिहास के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में शामिल रहे हैं। लिरेन मेरे लिए असली प्रेरणा हैं। मैंने डिंग के बारे में जो सीखा है, वह यह है कि वह एक अविश्वसनीय योद्धा हैं – सच्चे चैंपियन अंत तक लड़ते हैं। मेरे लिए डिंग एक वास्तविक विश्व चैम्पियन हैं। वह एक सच्चे चैम्पियन की तरह खेले। मुझे डिंग और उनकी टीम के लिए खेद है। मैं अपने प्रतिद्वंद्वी को धन्यवाद देना चाहता हूं।’

मुझे यह महसूस करने में समय लगा कि मैंने बड़ी गलती कर दी है – लिरेन

वहीं लिरेन ने कहा, ‘मुझे यह महसूस करने में समय लगा कि मैंने बड़ी गलती कर दी है। मैं खेल जारी रखूंगा। मुझे लगता है कि मैंने वर्ष का अपना सर्वश्रेष्ठ टूर्नामेंट खेला। मैं बेहतर कर सकता था, लेकिन कल भाग्यवश मैं बच गया था और उसे देखते हुए अंत में हारना एक उचित परिणाम है। मुझे कोई पछतावा नहीं है।’

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