जयराम रमेश बोले – ‘हम पहले दिन सर्वसम्मति का माहौल चाहते थे, इसलिए नहीं मांगा मत विभाजन’
नई दिल्ली, 26 जून। लोकसभा में बहुमत न होने के बावजूद विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. ने मंगलवार को जब एनडीए प्रत्याशी ओम बिरला के सामने कांग्रेस सांसद के. सुरेश को विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर खड़ा कर दिया, तब यह स्पष्ट हो गया था कि आज लोकसभा के नए अध्यक्ष का फैसला चुनाव के जरिए ही होगा। हालांकि आज विपक्ष ने आश्चर्यजनक रूप से मत विभाजन की मांग नहीं की और
ओम बिरला ध्वनिमत से स्पीकर चुन लिए गए।
‘यह हमारी ओर से एक रचनात्मक कदम था‘
बाद में मत विभाजन के सवाल पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश में कहा कि उनकी पार्टी की तरफ से लोकसभा में मत विभाजन की मांग नहीं की गई। उन्होंने कहा, ‘मैं आपको औपचारिक रूप से बता रहा हूं, हमने मत विभाजन की मांग नहीं की। हमने इसकी मांग इसलिए नहीं की क्योंकि हमें यह उचित लगा कि आज पहले दिन सर्वसम्मति हो, पहले दिन सर्वसम्मति का माहौल हो। यह हमारी ओर से एक रचनात्मक कदम था। हम मत विभाजन की मांग कर सकते थे।
नहीं बन पाई थी आम सहमति
दरअसल, शुरुआत में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए और I.N.D.I.A. ब्लॉक के बीच स्पीकर पद को लेकर सहमति बन गई थी। एनडीए की तरफ से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्षी नेताओं से बातचीत की थी। मंगलवार सुबह राजनाथ सिंह ने विपक्षी दल के नेताओं को अपने दफ्तर बुलाया और समर्थन पत्र पर साइन का आग्रह किया था।
लेकिन विपक्ष ने स्पीकर के लिए ओम बिरला के समर्थन की एवज में डिप्टी स्पीकर का पद देने की शर्त रख दी, जिसे लेकर बात बिगड़ गई और सत्ता पक्ष ने शर्त मानने से इनकार कर दिया। खैर, आज विपक्ष ने सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाए रखा और मत विभाजन की मांग नहीं की।
दूसरी बार निर्वाचित होने वाले छठे स्पीकर बने बिरला
जहां तक ओम बिरला का सवाल है तो वह दूसरी बार निर्वाचित होने वाले छठे स्पीकर हैं। हालांकि वह ऐसे तीसरे स्पीकर हैं, जो एक कार्यकाल पूरा होने के बाद दूसरे कार्यकाल के लिए चुने गए हैं। उनसे पहले बलराम जाखड़ कुल नौ वर्षों तक स्पीकर रहे हैं जबकि गुरदयाल सिंह ढिल्लो 1970 से 1975 के दौरान लगातार छह वर्षों तक लोकसभा के स्पीकर रहे थे।
बिरला 5 वर्ष तक स्पीकर रह गए तो बनाएंगे नया रिकॉर्ड
गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान सुमित्रा महाजन स्पीकर थीं। इसके बाद 2019 में ओम बिरला को मौका मिला था। अब वह दोबारा स्पीकर बने हैं। यदि ओम बिरला पूरे पांच वर्ष तक स्पीकर रहते हैं तो वह भी एक रिकॉर्ड होगा। अब तक किसी स्पीकर का कार्यकाल 10 वर्ष तक का नहीं रहा है।