US ने आरोपों को किया खारिज, लोकसभा चुनाव की तारीफ करते हुए बोला – ‘भारत में लोकतंत्र को लेकर कोई संदेह नहीं’
वॉशिंगटन, 10 मई। अमेरिका ने भारत में लोकतंत्र के बारे में कुछ हलकों द्वारा उठाई गई चिंताओं को खारिज कर दिया है। उसका 100 फीसदी मानना है कि नई दिल्ली के साथ अपने संबंधों पर वॉशिंगटन भरोसा कर सकता है, जो 21वीं सदी के निर्णायक रिश्तों में से एक बनने जा रहा है।
भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने विदेशी संबंधों पर परिषद द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में विश्वास व्यक्त किया कि अब से 10 वर्षों भारत एक जीवंत लोकतंत्र होने जा रहा है, जैसा कि आज स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के संदर्भ में है।
अमेरिकी राजदूत गार्सेटी ने चुनाव के नियमों की तारीफ की
भारत में लोकतंत्र की स्थिति पर चिंता व्यक्त करने वाले एक सवाल के जवाब में गार्सेटी ने कहा कि कुछ ऐसी चीजें हैं, जो शायद बदतर हैं और कुछ चीजें बेहतर हैं। गार्सेटी ने कहा, ‘उनके पास एक कानून है, आप दो किलोमीटर से अधिक वोट करने के लिए नहीं जा सकते। वहां एक आदमी होगा, जो पहाड़ों में एक साधु के रूप में एक जगह रहता है। तो वे उसके लिए मतदान मशीन लाने, वोट का अधिकार देने के लिए दो दिन तक चलेंगे।’
उन्होंने कहा कि भारत में चुनाव के समय ऐसे लोग हैं, जो ट्रकों की जांच करते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी के पास चुनाव प्रभावित करने के लिए नकदी का हस्तांतरण तो नहीं हो रहा।
गार्सेट्टी ने कहा कि वह भारतीय प्रणाली की कुछ चीजों से प्रभावित हैं, जो अमेरिकियों से बेहतर हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा, ‘कुछ ऐसी चीजें हैं, जिन पर हम अपनी नजर रखते हैं और मैं सिर्फ असहमत हूं कि हम उनके बारे में बात नहीं करते हैं। लेकिन मेरा 100 प्रतिशत यह मानना है कि यह न केवल दुनिया के सबसे जीवंत लोकतंत्रों में से एक बना रहेगा, बल्कि अमेरिका और भारत के संबंध 21वीं सदी के निर्णायक रिश्तों में से एक बनने जा रहे हैं। मेरा मानना है कि हम इस रिश्ते पर भरोसा कर सकते हैं।’
उन्होंने इस बात की भी प्रशंसा की कि भारत में राज्यों और केंद्र सरकार के बीच शक्ति का बंटवारा कैसे होता है। गार्सेटी ने कहा, ‘यदि आप भारत में राज्य सरकारों को नहीं जानते हैं, जो केंद्र की तरह शक्तिशाली हैं और विपक्षी दलों द्वारा संचालित हैं और आप अन्य दलों के बारे में भी बहुत आलोचना कर सकते हैं, जो सत्ता में हैं। यदि आप भारत के इतिहास को देखें तो कोई स्वर्ण युग नहीं है, जहां हर किसी के अधिकारों का सम्मान किया गया है। अमेरिका की तुलना में भारत में चुनाव बेहतर हैं।’