महाराष्ट्र : शिवसेना (UBT) को झटका, विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर ने सुनाया फैसला – शिंदे नीत गुट ही असली शिवसेना
मुंबई, 10 जनवरी। महाराष्ट्र में शिवसेना के दोनों धड़ों के विधायकों की योग्यता या अयोग्यता को लेकर पिछले कई महीनों से जारी प्रकरण का बुधवार को पटाक्षेप हो गया, जब महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिवसेना के उद्धव बाल ठाकरे (UBT) गुट को करारा झटका देते हुए एकनाथ शिंदे गुट को असली इकाई की मान्यता दे दी। इसके साथ ही यह तय हो गया है कि एकनाथ शिंद की कुर्सी को कोई खतरा नहीं है और वह मुख्यमंत्री बने रहेंगे।
दो गुट उभरने के बाद शिवसेना-शिंदे गुट के पास था 37 विधायकों का बहुमत
विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी धड़े द्वारा एक-दूसरे के विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर अपना फैसला पढ़ते हुए कहा कि 21 जून, 2022 को जब प्रतिद्वंद्वी समूहों का उदय हुआ तो शिवसेना का एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला धड़ा ही ‘असली राजनीतिक दल’ (असली शिवसेना) था। उस वक्त विधानसभा में शिंदे गुट को शिवसेना के 55 में से 37 विधायकों का समर्थन था। उन्होंने यह भी कहा कि शिवसेना (UBT) के सुनील प्रभु 21 जून, 2022 से सचेतक नहीं रहे।
शिवसेना के ‘प्रमुख’ के पास किसी भी नेता को पार्टी से हटाने की शक्ति नहीं
राहुल नार्वेकर ने यह भी कहा कि शिवसेना के ‘प्रमुख’ के पास किसी भी नेता को पार्टी से हटाने की शक्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग को सौंपा गया 1999 का पार्टी संविधान मुद्दों पर फैसला करने के लिए वैध संविधान था। इस संविधान के अनुसार ‘राष्ट्रीय कार्यकारिणी’ सर्वोच्च निकाय है।
नार्वेकर ने कहा, ‘मुझे विवाद से पहले मौजूद नेतृत्व संरचना को ध्यान में रखते हुए प्रासंगिक संविधान तय करना होगा। हम याचिकाकर्ता (उद्धव गुट) के इस तर्क को स्वीकार नहीं कर सकते कि 2018 के पार्टी संविधान पर निर्भर किया जाना चाहिए। चुनाव आयोग द्वारा प्रदत्त शिव सेना का संविधान वास्तविक संविधान है, जिसे शिवसेना का संविधान कहा जाएगा।’
शिवसेना के 2018 संशोधित संविधान को वैध नहीं माना जा सकता
महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि शिवसेना के 2018 के संविधान पर विचार करने की उद्धव ठाकरे गुट की दलील स्वीकार नहीं की जा सकती। शिवसेना का संविधान नेतृत्व संरचना की सीमा की पहचान को लेकर प्रासंगिक है। शिवसेना के 2018 संशोधित संविधान को वैध नहीं माना जा सकता, क्योंकि यह भारत के चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘रिकॉर्ड के अनुसार, मैंने वैध संविधान के रूप में शिवसेना के 1999 के संविधान को ध्यान में रखा है। पार्टी संविधान के अनुसार शिवसेना पार्टी प्रमुख किसी को भी पार्टी से नहीं हटा सकते हैं। इसलिए जून, 2022 में उद्धव ठाकरे द्वारा एकनाथ शिंदे को हटाया जाना शिवसेना संविधान के आधार पर स्वीकार नहीं है।’