दुबई, 4 जनवरी। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने खेल की स्थितियों में उल्लेखनीय बदलाव किया है, जिसके अनुसार अम्पायर अब निर्णय समीक्षा प्रणाली (DRS) रेफरल के दौरान विकेट के पीछे कैच पर विचार किए बिना स्टम्पिंग के लिए केवल ‘साइड ऑन रीप्ले’ का आकलन करेंगे।
नियमों में यह संशोधन 12 दिसम्बर, 2023 से लागू हो गया है। इसके अनुसार यदि कोई टीम स्टम्प आउट की जांच के दौरान विकेट के पीछे कैच के लिए भी रेफरल लेना चाहती है तो उसे अलग से डीआरएस का विकल्प चुनना होगा।
पिछले वर्ष भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच श्रृंखला के दौरान ऑस्ट्रेलिया के विकेटकीपर एलेक्स कैरी ने टीम के डीआरएस का उपयोग किए बिना स्टम्पिंग के बाद विकेट के पीछे कैच के लिए भी रेफरल का इस्तेमाल किया था।
लेकिन अब नए नियम लागू होने के बाद स्टंपिंग के लिए की गई अपील में केवल साइड ऑन कैमरे की छवि को ही दिखाया जाएगा। अम्पायर केवल उसी पर गौर करेंगे। वे इसकी जांच नहीं करेंगे की गेंद बल्ले को छूकर गई है या नहीं।
अब इसी शर्त पर स्थानापन्न खिलाड़ी को गेंदबाजी की अनुमति मिलेगी
आईसीसी ने कन्कशन (सिर में चोट लगने के कारण हल्की बेहोशी की स्थिति) के लिए स्थानापन खिलाड़ी (सब्स्टीट्यूट) लेने को लेकर भी नियमों को स्पष्ट किया है। अब स्थानापन खिलाड़ी को तभी गेंदबाजी करने की अनुमति दी जाएगी जबकि मूल खिलाड़ी को गेंदबाजी करते समय ‘कन्कशन’ के कारण हटना पड़ा हो। विश्व क्रिकेट की संचालन संस्था ने इसके साथ ही मैदान पर चोट के आकलन और उपचार के लिए चार मिनट का समय भी तय कर दिया है।
रणजी ट्रॉफी में भी जारी रहेगा ‘डेड बॉल‘ व प्रति ओवर दो बाउंसर का नियम
आईसीसी के इन नियमों में बदलाव के साथ भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) ने पिछले साल सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी और विजय हजारे ट्रॉफी के दौरान लागू किए गए ‘डेड बॉल’ और प्रति ओवर दो बाउंसर के नियम को शुक्रवार से शुरू होने वाली रणजी ट्रॉफी में भी जारी रखने का फैसला किया है।