फिर फैल सकता है कोरोना : JN.1 वैरिएंट का पहला मामला आने के बाद केंद्र सतर्क, राज्यों को जारी की एडवाइजरी
नई दिल्ली, 18 दिसम्बर। देश में एक बार फिर कोरोना महामारी फैलने का खतरा उत्पन्न होता प्रतीत हो रहे है। वजह, कोरोना का नया वैरिएंट JN.1 का पहला मामला सामने आ चुका है। इसके बाद केंद्र ने सोमवार को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से निरंतर निगरानी बनाए रखने को कहा।
24 घंटे में कोरोना के 235 मामले दर्ज किए गए
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव सुधांशु पंत ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखे एक पत्र में रेखांकित किया कि केंद्र और राज्य सरकारों के बीच लगातार और सहयोगात्मक कार्यों के कारण हम (कोविड-19 के) मामलों की संख्या कम करने में सक्षम हुए। वहीं, पिछले तीन दिनों के भीतर 15 और 17 दिसम्बर को कोविड-19 के 300-300 से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं। पिछले 24 घंटे में कोरोना के 235 मामले दर्ज किए गए हैं।
8 दिसम्बर को केरल में JN.1 का पहला केस
सुधांशु पंत ने कहा कि हालांकि, कोविड-19 वायरस का प्रकोप जारी है… इसलिए सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निबटने के लिए गति को बनाए रखना महत्वपूर्ण है। पंत ने कहा कि हाल में केरल जैसे कुछ राज्यों में कोविड-19 के मामलों की संख्या में मामूली वृद्धि हुई है। भारत में कोविड-19 के उप स्वरूप जेएन.1 का पहला मामला गत आठ दिसम्बर को केरल में सामने आया था। हालांकि, पीड़ित महिला रोगी अब पूरी तरह से ठीक हो चुकी है। उन्होंने कहा कि आगामी त्योहारी मौसम को ध्यान में रखते हुए राज्यों को बीमारी के प्रसार के जोखिम को कम करने के लिए अपेक्षित सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय और अन्य व्यवस्थाएं करनी चाहिए।
दिशा-निर्देशों का पालन करने की अपील
पंत ने पत्र में राज्यों से आग्रह किया है कि वे केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा कोविड-19 के लिए साझा की गई संशोधित निगरानी रणनीति को लेकर विस्तृत दिशानिर्देशों का प्रभावी अनुपालन सुनिश्चित करें। उन्होंने मामलों का जल्द पता लगाने के लिए सभी स्वास्थ्य सुविधाओं में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) और गंभीर तीव्र श्वसन बीमारी (एसएआरआई) के जिला आधारित मामलों की नियमित आधार पर निगरानी और रिपोर्ट करने को कहा है। राज्यों को यह भी सलाह दी गई है कि वे सभी जिलों में कोविड-19 जांच दिशानिर्देशों के अनुसार पर्याप्त परीक्षण सुनिश्चित करें और आरटी-पीसीआर और एंटीजन जांच की अनुशंसित हिस्सेदारी बनाए रखें।
क्या है जेएन.1 वैरिएंट
केरल में एक महिला में कोरोना वायरस के जेएन.1 नामक नए सब-वैरिएंट की पहचान की गई है। इसके बाद से ही कोरोना के फैलाव को लेकर चिंता बढ़ गई है। केंद्र ने 16 दिसम्बर को केरल के एक मरीज में कोविड-19 के जेएन.1 सब वैरिएंट की उपस्थिति की पुष्टि की। यह भारत में इस तरह का पहला मामला था। जेएन.1, बीए.2.86 वैरिएंट से निकटता से संबंधित है। इसे पिरोला भी कहा जाता है, जिसका हाल ही में अमेरिका और चीन में पता चला है। कोविड-19 के उप-स्वरूप जेएन.1 की पहचान पहली बार लक्जमबर्ग में की गई थी। कई देशों फैला यह संक्रमण पिरोलो स्वरूप (बीए.2.86) से संबंधित है।
नए वैरिएंट से कितना खतरा?
हालांकि केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने रविवार को कहा कि राज्य में मिला कोविड-19 का नया उपस्वरूप ‘जेएन.1’ चिंता का कारण नहीं है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शनिवार को बताया कि भारतीय सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (आईएनएसएसीओजी) की नियमित निगरानी गतिविधि के तहत नया मामला मिला है। वैश्विक स्तर पर, बीए.2.86 और इसके सब-वैरिएंट के 3,608 मामले सामने आए हैं। इनमें से ज्यादातर यूरोप और उत्तरी अमेरिका से हैं। हालांकि, यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने कहा कि शुरुआती आंकड़ों से पता चलता है कि अपडेट कोविड-19 वैक्सीन जेएन.1 सब-वैरिएंट से सुरक्षा प्रदान करने में कारगर हैं। प्रारंभिक आंकड़ों से सामने आया है कि अपडेट वैक्सीन और इलाज अभी भी जेएन.1 सब-वैरिएंट के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करेंगे।