ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : ASI ने सर्वे के लिए और 4 हफ्ते का मांगा समय, 6 अक्टूबर को सौंपनी थी रिपोर्ट
वाराणसी, 4 अक्टूबर। वाराणसी में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे को पूरा करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने अदालत से और चार हफ्ते का समय मांगा है। इस निमित्त एएसआई की ओर से स्टैंडिंग काउंसिल के अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव ने जिला जज की कोर्ट में बुधवार को इस बाबात प्रार्थना पत्र दिया।
एएसआई के आवेदन पर अदालत ने प्रतिवादियों से आपत्ति मांगी
इससे पहले भी एएसआई ने आठ हफ्ते का समय मांगा था, लेकिन अदालत ने चार हफ्ते का समय देते हुए छह अक्टूबर तक रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था। एएसआई ने तीसरी बार तिथि बढ़ाने के लिए प्रार्थना पत्र दिया है। एएसआई के प्रार्थना पत्र पर अदालत ने प्रतिवादियों से आपत्ति मांगी है। माना जा रहा है कि अब गुरुवार को इस मामले पर सुनवाई हो सकती है।
तीसरी बार तिथि बढ़ाने के लिए एएसआई ने दिया है प्रार्थना पत्र
गौरतलब है कि वाराणसी जिला जज की अदालत ने इस वर्ष 21 जुलाई को चार अगस्त तक वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर रिपोर्ट देने का आदेश दिया था। एएसआई ने 24 जुलाई को सर्वे शुरू कर दिया, लेकिन इसी बीच मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था। पांच घंटे तक सर्वेक्षण के बाद ही इस पर 26 जुलाई तक रोक लग गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट को मामला देखने और फैसला लेने का आदेश दिया था। हालांकि मुस्लिम पक्ष को हाई कोर्ट से भी राहत नहीं मिली और सर्वेक्षण दोबारा शुरू हो गया। पहले चार अगस्त को जिला जज की अदालत में सर्वेक्षण रिपोर्ट देनी थी। एएसआई ने कोर्ट से चार सप्ताह का और समय मांगा। तब अदालत ने दो सितम्बर तक सर्वे की मोहलत दी थी।
जिला जज के अवकाश पर होने के कारण प्रभारी जिला जज/एडीजे प्रथम संजीव सिन्हा की अदालत में दो सितम्बर को एएसआई ने सर्वे के लिए आठ हफ्ते का अतिरिक्त समय मांगा था। अदालत ने एएसआई को जिला जज के समक्ष प्रार्थनापत्र पेश करने के लिए आदेश दिया। जिला जज के सामने चार सितम्बर को पत्रावली पेश की गई। उन्होंने सुनवाई आठ सितम्बर को नियत की थी। आठ सितम्बर को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने सुनवाई की और आठ की जगह चार हफ्ते का समय देते हुए छह अक्टूबर को रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था। अब जबकि छह अक्टूबर में केवल दो दिन है, एएसआई ने फिर से चार हफ्ते की मोहलत मांग ली है।
एएसआई ने सर्वे में हो रही देरी का बताया कारण
एएसआई ने पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया था कि न्यायालय के आदेश पर पूरे परिसर का बिना खुदाई किए सर्वेक्षण किया जा रहा है। काफी बारीकी से साक्ष्यों व मौजूद ढांचे का अध्ययन हो रहा है। सभी तहखानों की जांच के लिए मलबा हटाया जा रहा है। मलबा अधिक होने से सर्वेक्षण में काफी समय लग रहा है। इसलिए सर्वे पूरा करने के लिए औऱ समय चाहिए।
मुस्लिम पक्ष ने लगाया था खुदाई का आरोप
वहीं मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से अधिवक्ता मो. रईस व मुमताज ने पिछली सुनवाई में आपत्ति की कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में एएसआई ने अपने शपथ पत्र में सिर्फ वैज्ञानिक तरीके से सर्वे की बात कही है। एएसआई खुद कह रहा है कि मलबा व कचरा वगैरह को हटाकर सर्वे हो रहा है।