भारत-सिंगापुर की नौसेनाओं के बीच दक्षिण चीन सागर में सैन्य अभ्यास शुरू
सिंगापुर, 22 सितंबर। भारत और सिंगापुर की नौसेनाओं ने दक्षिण चीन सागर के दक्षिणी हिस्सों में सप्ताह भर चलने वाला ‘सिम्बेक्स’ नामक द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास शुरू किया है, जिसके लिए दोनों देशों ने एक-एक पनडुब्बी तैनात की है। बृहस्पतिवार से शुरू हुए वार्षिक अभ्यास में भारतीय नौसेना का राजपूत श्रेणी का विध्वंसक आईएनएस रणविजय, कामोर्टा श्रेणी का जंगी पोत आईएनएस कवरत्ती और एक पी-8आई समुद्री गश्ती विमान भाग ले रहा है। दोनों देश तीन दशक से यह वार्षिक अभ्यास कर रहे हैं।
इस अभ्यास में भाग ले रहे ‘रिपब्लिक ऑफ सिंगापुर नेवी’ (आरएसएन) के युद्धपोतों में दो ‘फॉर्मिडेबल’ श्रेणी के युद्धपोत ‘आरएसएस स्टॉलवर्ट’ और ‘आरएसएस टनैशस’ शामिल हैं। आरएसएन के फ्लीट कमांडर कर्नल (सीओएल) क्वान होन चुओंग और भारत के पूर्वी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल राजेश पेंढारकर ने इस द्विपक्षीय अभ्यास के उद्घाटन समारोह में इसके 30वें संस्करण के स्मारक ‘लोगो’ का अनावरण किया।
कर्नल क्वान ने दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच पेशेवर दक्षता बढ़ाने में इस अभ्यास के महत्व पर प्रकाश डाला। यह अभ्यास दो चरण में होगा। अभ्यास के भू चरण में ‘टेबल-टॉप’ अभ्यास और योजना पर चर्चा की जाएगी, जबकि समुद्री चरण में नौसेनाएं पनडुब्बी रोधी युद्धक और हथियार चलाने सहित विभिन्न नौसैन्य अभ्यास करेंगी। ‘टेबल टॉप’ अभ्यास का अर्थ है कि अहम जिम्मेदारियां निभाने वाले सैन्य अधिकारी आपात स्थिति से निपटने के लिए त्वरित कार्रवाई पर विचार-विमर्श करते हैं और योजना बनाते हैं।
इस साल सिम्बेक्स अभ्यास का तटीय चरण (21 सितंबर से 24 सितंबर तक) आरएसएस सिंगापुर-चांगी नौसैन्य अड्डे पर होगा, जबकि समुद्री चरण (25 सितंबर से 28 सितंबर तक) अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में दक्षिण चीन सागर के दक्षिणी हिस्सों पर होगा। इस दौरान दोनों नौसेनाएं पनडुब्बी बचाव संयुक्त मानक संचालन प्रक्रिया (जेएसओपी) दस्तावेज पर भी हस्ताक्षर करेंगी।
‘सिम्बेक्स’ अभ्यास 1994 में शुरू हुआ था। इसके बाद से इस नौसैनिक अभ्यास का दायरा और जटिलता बढ़ी है और इसमें परंपरागत नौसैन्य आयुधों से परे जाकर समुद्री सुरक्षा के तत्वों को भी शामिल किया गया है। इस अभ्यास के अलावा दोनों देशों की नौसेनाएं पेशेवर आदान-प्रदान, कर्मियों के बीच वार्ता और अभ्यास पाठ्यक्रमों समेत कई गतिविधियों के जरिए नियमित रूप से संपर्क में रहती हैं।