राज्यसभा में बोले पीयूष गोयल- सभी सांसद नये संकल्प और प्रतिबद्धता के साथ नये संसद भवन में जाएं
नई दिल्ली, 18 सितंबर। राज्यसभा द्वारा देश के संसदीय लोकतंत्र में दिये गये योगदान को ‘महत्वपूर्ण’ बताते हुए सदन के नेता पीयूष गोयल ने सोमवार को उम्मीद जतायी कि सभी सदस्य नये संसद भवन में देश की 140 करोड़ जनता की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए एक नये संकल्प और प्रतिबद्धता के साथ जाएंगे। उच्च सदन में देश की संसदीय यात्रा के बारे में चर्चा की शुरुआत करते हुए गोयल ने यह बात कही।
सदन के नेता ने गणेश चतुर्थी उत्सव की बधाई देते हुए कहा कि आज की चर्चा हम सभी को और उत्साह देगी और इस बात के लिए प्रेरित करेगी कि आगे भी हम देश के निर्माण में अपना योगदान कैसे दे सकते हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक बयान का हवाला देते हुए कहा कि देश का लोकतंत्र प्रेरणादायी है। प्रधानमंत्री ने कहा था कि देश का संविधान हम सभी को इच्छाशक्ति देता है तथा संसद देशवासियों के संकल्प और उमंग को साझा करने का सबसे सही संस्थान है।
गोयल ने कहा कि लोकतंत्र को जीवित रखने और मजबूत बनाने का जो सबसे बड़ा मंच है, वह संसद है। उन्होंने कहा कि भारत की लोकतंत्र की प्रणाली स्वदेशी आधार पर बनी है। उन्होंने कहा कि गुलामी से मुक्त होने के बाद बहुत कम बड़े देश ऐसे हैं जहां लोकतंत्र टिक पाया है। उन्होंने कहा कि भारत में लोकतंत्र दिनों दिन मजबूत हो रहा है। इसमें दोनों सदनों का बहुत बड़ा योगदान रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है और यदि देश के बहुत प्राचीन इतिहास में जाए तो वैदिक काल में भी ‘‘सभा’’, ‘‘समिति’’, ‘‘संसद’’ जैसे शब्द मिलते हैं। उन्होंने कहा कि हमने केवल इन शब्दों को नहीं लिया बल्कि इनकी आत्मा भी संसद के कामकाम में दिखाई पड़ती है। गोयल ने संसद के नये भवन को सभी के लिए गर्व का विषय बताया।
उन्होंने उम्मीद जतायी, ‘‘ जब हम नये सदन, नये वास्तु में जा रहे हैं तो नयी सोच के साथ जाएं। इस देश की दशा और दिशा को नया रूप देने के लिए, देश की 140 करोड़ जनता की आशाओं और अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए हम सब संकल्प लेकर नयी प्रतिबद्धता के साथ कल नए संसद भवन में प्रवेश करने जा रहे हैं। इसके लिए मैं आप सभी को तहेदिल से बधाई देता हूं। जी20 सम्मेलन की सफलता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश ने पूरे विश्व में एक अमिट छाप छोड़ी है।
उन्होंने कहा कि जी20 में भारत ने ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम’’ की भावना के तहत यह दिखाया कि ‘‘हम केवल अपने देश ही नहीं पूरे विश्व की चिंता करते हैं और उसकी भलाई चाहते हैं।’’ संविधान सभा में हुई चर्चा के स्तर को बहुत ऊंचा करार देते हुए उन्होंने कहा कि उसमें इस बात को लेकर भी व्यापक बहस हुई थी कि संसद में दो सदनों की क्यों जरूरत है। उन्होंने कहा कि सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने भी राज्यसभा की स्थापना का समर्थन किया था।