अमित शाह अब राज्यसभा में पेश करेंगे दिल्ली सेवा बिल, NDA और INDIA की होगी अग्नि परीक्षा
नई दिल्ली, 6 अगस्त। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सोमवार को राज्यसभा में दिल्ली में सेवाओं से जुड़ा विधेयक पेश करेंगे। लोकसभा ने ‘दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन संशोधन विधेयक 2023’ पहले ही पास कर दिया है। गत तीन अगस्त को INDIA गठबंधन के सदस्यों के वॉकआउट के बाद विधेयक को लोकसभा में ध्वनि मत से पारित किया गया था। यह विधेयक दिल्ली में समूह-ए के अधिकारियों के ट्रांसफर एवं पोस्टिंग के लिए एक प्राधिकार के गठन के लिहाज से लागू अध्यादेश का स्थान लेगा।
कांग्रेस और AAP ने अपने सांसदों के लिए जारी किया ह्विप
इस बीच कांग्रेस और दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) ने अपने सांसदों को सोमवार को राज्यसभा में मौजूद रहने के लिए ह्विप जारी किया है। कांग्रेस ने अपने सांसदों को तीन लाइन का ह्विप जारी कर राज्यसभा में मौजूद रहने को कहा है। वहीं आम आदमी पार्टी ने भी अपने सांसदों को सात और आठ अगस्त को उच्च सदन में उपस्थित रहने के लिए तीन-लाइन का ह्विप जारी किया है।
रणनीति पर मंथन के लिए खड़गे के ऑफिस में होगी बैठक
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राज्यसभा में INDIA गठबंधन दलों की क्या रणनीति होगी, इस पर मंथन करने के लिए विपक्षी नेताओं की सोमवार को पूर्वाह्न 10 बजे राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के ऑफिस में बैठक होगी। कांग्रेस ने केंद्र के सेवा विधेयक के खिलाफ आम आदमी पार्टी को समर्थन देने की बात कही है।
लोकसभा में विधेयक के पास होने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर कहा था, ‘आज देश विपक्ष का दोहरा चेहरा देख रहा है। उनके लिए जन कल्याण के बिल महत्वपूर्ण नहीं हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि एक छोटी पार्टी उनका गठबंधन न छोड़े, वे एकजुट हुए हैं।’
फिलहाल सियासी विश्लेषकों की मानें तो यह विधेयक सरकार और विपक्ष दोनों की साख का सवाल बन गया है। ऐसे में माना जा रहा है कि राज्यसभा में इस मसले पर जोरदार हंगामा होगा। यह विधेयक INDIA और एनडीए दोनों के लिए राज्यसभा में किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है।
तटस्थ रुख अपनाने वाले दलों के सहारे भाजपा का पलड़ा भारी
राज्यसभा में इस विधेयक का पास होना या ना होना, अगले वर्ष प्रस्तावित लोकसभा चुनावों में दलीय लड़ाई की एक धुंधली तस्वीर पेश करेगा। राज्यसभा में सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी INDIA गठबंधन के पास सदस्यों की संख्या समान है। हालांकि तटस्थ रुख अपनाने वाले दलों के कारण भाजपा की अगुआई वाले गठबंधन का पलड़ा भारी नजर आ रहा है। नजरें बीजू जनता दल, बसपा, तेदेपा और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी पर है। देखना होगा कि दोनों उच्च सदन में किसे अपना समर्थन देते हैं। गौरतलब है कि मोदी सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में गत 19 मई को ग्रुप ए अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग पर नियंत्रण के लिए इससे संबंधित अध्यादेश लाया था।