राहुल गांधी को आंशिक राहत, कोर्ट ने पासपोर्ट जारी करने के लिए 3 वर्षों के लिए एनओसी दी
नई दिल्ली, 26 मई। राष्ट्रीय राजधानी के राउज एवेन्यू कोर्ट ने नया पासपोर्ट जारी करने के लिए एनओसी की मांग वाली कांग्रेस नेता राहुल गांधी की याचिका आंशिक रूप से स्वीकार कर ली है। कोर्ट ने तीन वर्षों के लिए एनओसी दी है। कोर्ट ने पहले इस मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था, फिर दोपहर एक बजे आदेश पारित किया।
राहुल की याचिका पर सुब्रमण्यम स्वामी ने जताई थी आपत्ति
दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 10 वर्षों की अवधि के लिए एक नया साधारण पासपोर्ट हासिल करने के लिए ‘अनापत्ति प्रमाण पत्र’ (एनओसी) मांग वाली याचिका दाखिल की थी। वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने इसका विरोध किया था। स्वामी ने दिल्ली की एक अदालत में जवाब दाखिल करते हुए कहा था कि आवेदक के पास दस वर्षों के लिए पासपोर्ट जारी करने का कोई वैध या प्रभावी कारण नहीं है।
सुब्रमण्यम स्वामी ने अदालत में कहा कि आवेदन में 10वर्षों के लिए पासपोर्ट जारी करने के लिए कोई योग्यता नहीं है। अदालत अनुमति देने के लिए विवेक का इस्तेमाल कर सकती है। न्यायालय न्याय व कानून के व्यापक क्षेत्रों में राहुल गांधी के मुकदमे पर फैसले लेने में अन्य संबंधित मामलों की जांच और विश्लेषण के बाद अनुमति देने के विवेक का इस्तेमाल कर सकता है।
भाजपा नेता ने आगे कहा कि इस स्तर पर आवेदक (राहुल गांधी) के पास एनओसी एक साल से ज्यादा नहीं हो सकती है और इसकी समीक्षा सालाना या इस न्यायालय द्वारा उपयुक्त समझे जाने पर की जा सकती है। स्वामी ने कहा कि अन्य सभी मौलिक अधिकारों की तरह पासपोर्ट रखने का अधिकार भी पूर्ण अधिकार नहीं है और यह राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और अपराध की रोकथाम के हित में सरकार द्वारा लगाए गए उचित प्रतिबंधों के अधीन है।
नेशनल हेराल्ड मामले में आरोपित राहुल गांधी की ओर से नए पासपोर्ट की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए 24 मई को दिल्ली की राउस एवेन्यू अदालत ने सुब्रमण्यम स्वामी को शुक्रवार 26 मई तक अपनी लिखित दलीलें दाखिल करने को कहा था।
राहुल गांधी ने सांसद के रूप में अयोग्य ठहराए जाने के बाद अपने राजनयिक यात्रा दस्तावेज को सरेंडर किया था और उके बाद नया ‘साधारण पासपोर्ट’ बनवाने के क्रम में एनओसी हासिल करने के लिए अदालत का रुख किया था। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट वैभव मेहता ने कहा था कि जमानत आदेश में गांधी की यात्रा पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया था और अदालत ने उनकी यात्रा पर प्रतिबंध लगाने के स्वामी के अनुरोध को खारिज कर दिया था।