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योगी कैबिनेट ने ओबीसी आरक्षण सहित 23 प्रस्तावों पर लगाई मुहर, किसानों-छात्रों को मिलेगी बड़ी राहत, बिजली व्यवस्था सुधरेगी

योगी कैबिनेट ने ओबीसी आरक्षण सहित 23 प्रस्तावों पर लगाई मुहर, किसानों-छात्रों को मिलेगी बड़ी राहत, बिजली व्यवस्था सुधरेगी

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लखनऊ, 29 मार्च। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बुधवार को कैबिनेट की बैठक में निकाय चुनाव के लिए ओबीसी आरक्षण के संशोधित प्रस्ताव के अलावा 22 प्रस्तावों पर मुहर लगा दी। इन प्रस्तावों में किसानों को बड़ी राहत देने वाले कई प्रस्ताव हैं। इसके साथ ही छात्रों को टैबलेट और स्मार्ट फोन के लिए प्रस्ताव को भी मुहर लगी है। बिजली व्यवस्था को सुधारने के प्रस्तावों पर भी योगी कैबिनेट ने मुहर लगा दी है।

इलेक्ट्रिक वाहनों एवं पंजीकृत वाहन स्केपिंग सुविधा में स्कैंप किये जाने वाले वाहनों पर शुल्क एकमुश्त छूट के नियमों में भी बदलाव को प्रस्ताव मंजूर हुए हैं। वाहनों को किसी भी जिले में स्वस्थता प्रमाण-पत्र प्राप्त करने की सुविधा भी दे दी गई है। कैबिनेट मंत्री एके शर्मा और सुरेश खन्ना ने प्रस्तावों के बारे में विस्तार से बताया।

ओबीसी आरक्षण को लेकर जल्द ही जारी होगी अधिसूचना

ओबीसी आरक्षण के संशोधित प्रस्ताव की बात करें तो योगी कैबिनेट से मंजूरी अब इसे राज्यपाल के पास भेजा गया है। वहां से मुहर लगते ही अधिसूचना जारी हो जाएगी। माना जा रहा है कि अगले 48 घंटे के अंदर ही अधिसूचना जारी होगी और अनंतिम आरक्षण की लिस्ट जारी हो सकती है। इस लिस्ट पर एक हफ्ते में आपत्ति मांगी जाएगी। आपत्ति के निस्तारण के बाद अंतिम सूची आएगी और निर्वाचन आयोग चुनावों की घोषणा कर देगा।

कैबिनेट की बैठक में सामान्य नगरीय निकाय निर्वाचन-2023 उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम-1916 एवं उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम-1959 में संशोधन संबंधी अध्यादेश को रखा गया और मंजूरी दे दी गई। इसके साथ ही कुल दो प्रस्तावों पर योगी कैबिनेट ने मुहर लगाई।

आबादी के अनुपात व ट्रिपल टेस्ट के आधार पर सीटें आरक्षित करने का सुझाव

पिछड़ा वर्ग आयोग ने राज्य सरकार को आबादी के अनुपात व ट्रिपल टेस्ट के आधार पर ओबीसी के लिए सीटें आरक्षित करने का सुझाव दिया है। अभी आरक्षण प्रदेश स्तर पर आबादी के हिसाब से सीटों को बांटते हुए किया जाता है। इससे पिछड़ों को वास्तविक लाभ नहीं मिल पा रहा है।

इसी को देखते हुए मेयर सीटों का आरक्षण प्रदेश, नगर पालिका परिषद अध्यक्ष मंडल और नगर पंचायत अध्यक्ष सीटों का आरक्षण जिला स्तर पर आबादी और सीटों के अनुपात पर करने का सुझाव है। सुझाव के आधार पर ही इसका अधिनियम में प्रावधान किया गया है।

क्या होगा फायदा

किसी सीट पर अगर 10 से 20 फीसदी तक आबादी है तो उसके आधार पर सीटें आरक्षित होंगी। किसी सीट पर 30 से 40 फीसदी अगर आबादी है तो तय कोटे के आधार पर 27 फीसदी तक ही आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। अधिनियम के आधार पर ही नियमावली में प्रावधान करते हुए नगर निगम मेयर, पालिका परिषद और नगर पंचायत अध्यक्ष की सीटों का आरक्षण किया जाएगा।

पिछले चुनाव में आरक्षित सीटें शून्य

सुप्रीम कोर्ट ने 2010 में ट्रिपल टेस्ट के आधार पर सीटों के आरक्षण की व्यवस्था दी थी। उत्तर प्रदेश में इसके बाद वर्ष 2012 व 2017 के चुनाव पुरानी आरक्षण की व्यवस्था के आधार पर हो चुके हैं। इसलिए इन दोनों ही चुनाव में जो सीटें आरक्षित की गई थीं, उन्हें शून्य माना जाएगा।

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