केंद्र सरकार ने लंबे इंतजार के बाद सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की नियुक्ति को दी हरी झंडी
नई दिल्ली, 4 फरवरी। केंद्र सरकार ने कॉलेजियम की सिफारिशों को लेकर हुई तकरार, नाराजगी और लंबे इंतजार के बाद अंततः सुप्रीम कोर्ट में पांच न्यायाधीशों की नियुक्ति को हरी झंडी दिखा दी है।
कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने ट्वीट के जरिए दी जानकारी
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को एक ट्वीट के जरिए इस आशय की जानकारी दी और पांचों न्यायाधीशों को शुभकामनाएं दी। उन्होंने ट्वीट में लिखा, भारतीय संविधान के प्रावधान के तहत राष्ट्रपति ने हाईकोर्ट के 5 चीफ जस्टिस और जजों की सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर नियुक्ति की है। इन सभी को शुभकामनाएं।’
As per the provisions under the Constitution of India, Hon’ble President of India has appointed the following Chief Justices and Judges of the High Courts as Judges of the Supreme Court.
I extend best wishes to all of them. pic.twitter.com/DvtBTyGV42— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) February 4, 2023
सुप्रीम कोर्ट के लिए नियुक्त हुए जजों में राजस्थान हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पंकज मिथल, पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल, मणिपुर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पी.वी. संजय कुमार, पटना हाई कोर्ट के जज अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज मनोज मिश्र शामिल हैं।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पिछले वर्ष 13 दिसम्बर को शीर्ष अदालत में प्रमोशन के लिए पांच जजों के नामों की सिफारिश की थी। इनकी नियुक्ति में देरी से सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से नाराजगी भी जताई थी।
केंद्र ने दिया सुप्रीम कोर्ट को भरोसा
सुप्रीम कोर्ट की ओर से नाराजगी जाहिर करने के बाद केंद्र ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिया था कि देश की सबसे बड़ी अदालत में पांच न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए जल्दी ही मंजूरी दी जाएगी। अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति ए. एस. ओका की पीठ से कहा था कि इन पांच नामों की नियुक्ति का आदेश जल्दी ही जारी होने की संभावना है।
पीठ ने हाई कोर्ट के न्यायाधीशों के स्थानांतरण की सिफारिशों को मंजूरी देने में केंद्र की ओर से देरी किए जाने पर नाराजगी जताई थी और प्रशासनिक काररवाई की चेतावनी भी दे दी थी। उसने कहा था कि यह काफी गंभीर मुद्दा है। पीठ ने चेतावनी दी थी कि उसे ऐसा कदम उठाने के लिए मजबूर नहीं करें, जो बहुत असहज हो।