यूपी चुनाव : कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कबीरचौरा मठ को बनाया अपना ठिकाना
वाराणसी, 3 मार्च। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता पूरे दमखम के साथ चुनाव प्रचार में जुटे हैं। इसी क्रम में कांग्रेस महासचिव और यूपी चुनाव में पार्टी की प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी ने वाराणसी स्थित कबीरचौरा मठ को अगले तीन दिनो के लिए अपना ठिकाना बना लिया है।
अति पिछड़ी जातियों एवं दलितों के बीच पैठ बनाने की कोशिश
प्रियंका गांधी की इस रणनीति को अति पिछड़ी जातियों एवं दलितों के बीच पैठ बनाने की कोशिश माना जा रहा है। दरअसल, सातवें चरण में जिन क्षेत्रों में चुनाव होना है, वहां दलित पिछड़ी जाति के मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है और इनमें संत कबीरदास के अनुयायियों की खासी तादाद है।
मूलगादी में दर्शन, महंत से साझा कीं कबीरदास की स्मृतियां
पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में बुधवार की शाम आगमन के बाद प्रियंका ने गुरुवार सुबह कबीरदास की मूलगादी में दर्शन किए एवं वहां मौजूद महंत से कबीरदास की स्मृतियों को साझा किया। उन्होंने कबीर के पालनहार माता-पिता नीरू-नीमा की समाधि के दर्शन किए और मठ में स्थित कबीर के बचपन और उनके व्यवसाय से जुड़ी पुरानी सामग्रियों को भी देखा।
कबीरपंथियों के मुख्य आकर्षण का एक केंद्र माना जाता है कबीरचौरा मठ
गौरतलब है कि संत कबीरदास की शिक्षाओं, संदेशों एवं स्मृतियों का केंद्र कबीरचौरा मठ है, जहां संत कबीर दास जी ने अपना जीवन बिताया था। देशभर के कबीरपंथियों और कबीरदास को मानने वाले लोगों के लिए कबीरचौरा मठ एक मुख्य आकर्षण का केंद्र है। 1934 में महात्मा गांधी जी का भी इस मठ में आगमन हुआ था।
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक वाराणसी में कबीरचौरा मठ को अपना ठिकाना बनाकर प्रियंका गांधी ने एक बहुत बड़ा राजनीतिक संदेश दिया है। संत कबीरदास के सामाजिक न्याय एवं समानता के संदेश से उत्तरप्रदेश का दलित एवं अति पिछड़ा वर्ग बहुत जुड़ाव रखता है। साथ ही संत कबीरदास का सांस्कृतिक महत्व भी बहुत है।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि कांग्रेस महासचिव ने दलित व अति पिछड़े वर्ग के अधिकारों के लिए लगातार आवाज उठाई है। उन्होंने अपने घोषणा पत्र में भी दलित व अति पिछड़े वर्ग के लिए काफी दूरगामी परिणामों वाली घोषणाएं की हैं। कबीरचौरा मठ का ठिकाना प्रियंका के संघर्षों और सामाजिक न्याय को मजबूत करने के उनके प्रयासों को लेकर एक बड़ा संदेश देगा।
बनारस घराने के गायन, वादन और कथक की तीन पीठों पर भी सिर नवाया
उल्लेखनीय है कि कबीरचौरा संगीत का भी वैश्विक केंद्र है। उत्तर भारतीय शास्त्रीय संगीत की तीन प्रमुख विधाओं – शास्त्रीय गायकी, कथक नृत्य और तबले की यह सिद्धपीठ भी है। कबीरचौरा की संकरी जनाकीर्ण गलियों से होते हुए प्रियंका अपने चुनिंदा सहयोगियों के साथ गायन, वादन और नृत्य के तीनों अंगों के तीन प्रतिनिधि परिवारों तक भी पहुंचीं।
पद्मविभूषण दिवंगत पंडित किशन महाराज के पुत्र पंडित पूरन महाराज और उनके शिष्यों और परिचितों से मिलीं और कुछ देर तक तबले के बोल सुनती रहीं। बाद में प्रियंका ने बनारस घराने के गायन, वादन और कथक की तीन पीठों पर भी सिर नवाया।