लखीमपुर हिंसा : केंद्रीय मंत्री के बेटे की गिरफ्तारी न होने पर सुप्रीम कोर्ट नाराज, योगी सरकार को फटकार
नई दिल्ली, 8 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में गत रविवार को हुई खूनी हिंसा का स्वतः संज्ञान लेने वाले सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई की और घटना के मुख्य आरोपित केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्र ‘टेनी’ के बेटे आशीष मिश्र ‘मोनू’ की अब तक गिरफ्तारी न होने पर योगी आदित्यनाथ सरकार को जमकर फटकार लगाई। आशीष मिश्र को आज ही पूछताछ के लिए क्राइम ब्रांच के सामने पेश होना था, लेकिन वह नहीं पहुंचा।
20 अक्टूबर को होगी मामले की अगली सुनवाई
गौरतलब है कि लखीमपुर हिंसा चार किसान और एक पत्रकार सहित नौ लोगों की मौत हुई थी, जिसके बाद राज्य में अब तक राजनीतिक तूफान मचा हुआ है। इस मामले की अगली सुनवाई अब दशहरे की छुट्टियों के बाद 20 अक्टूबर को होगी।
यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पेश की स्टेटस रिपोर्ट
इस बीच यूपी सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट में घटना की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल कर दी। स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया है कि मृतकों का पोस्टमार्टम हुआ था। साथ ही मामले में एसआईटी जांच के आदेश दिए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान यूपी सरकार को जमकर फटकार लगाई और पूछा कि मामला जब 302 का है तो गिरफ्तारी अब तक क्यों नहीं हुई। मुख्य आरोपित आशीष को आज क्राइम ब्रांच ने पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन वह नहीं पहुंचा। यूपी सरकार का पक्ष रखने वाले देश के सबसे महंगे वकीलों में एक एवं भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे ने कहा कि आशीष शनिवार को 11 बजे तक पेश हो जाएगा।
आशीष ने शनिवार पूर्वाह्न 11 बजे तक का समय मांगा है
हरीश साल्वे ने कहा कि किसानों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गोली लगने की बात सामने नहीं आई है। हालांकि, कोर्ट में यूपी सरकार ने यह भी बताया कि घटनास्थल से दो खाली कारतूस मिले थे।
साल्वे ने कहा कि अभियुक्त आशीष मिश्रा को नोटिस भेजा गया है वो आज आने वाला था। लेकिन उसने शनिवार पूर्वाह्न तक का टाइम मांगा है। हमने उसे कल शनिवार पूर्वाह्न 11 बजे तक की मोहलत दी है। सीजेआई ने पूछा कि जिम्मेदार सरकार और प्रशासन इतने गंभीर आरोपों पर अलग बर्ताव क्यों किया जा रहा है?
राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से शीर्ष अदालत संतुष्ट नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से संतुष्ट नहीं है। शीर्ष अदालत ने साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार से कहा है कि वह अपने डीजीपी से यह सुनिश्चित करने के लिए कहे कि जब तक कोई अन्य एजेंसी इसे संभालती है, तब तक मामले के सबूत सुरक्षित रहें।
सीजेआई रमना ने पूछा – आखिर, आप क्या संदेश देना चाहते हैं?
प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) न्याममूर्ति एनवी रमना ने यूपी सरकार से पूछा – आखिर, आप क्या संदेश देना चाहते हैं? 302 के मामले में पुलिस सामान्यतया क्या करती है? सीधा गिरफ्तार ही करते हैं ना! अभियुक्त जो भी हो, कानून को अपना काम करना चाहिए!
कपिल सिब्बल ने भाजपा को घेरा
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बीच कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने भाजपा पर निशाना साधा। वह बोले, ‘किसानों पर बेरहमी के साथ गाड़ी चढ़ा दी और केवल यहां ही नहीं कश्मीर में भी केमिस्ट और टीचर की गोली मारकर हत्या कर दी गई, फिर भी प्रधानमंत्री चुप हैं। भाजपा सांसद वरूण गांधी ने इस मामले में जवाबदेही की बात की, लेकिन उनको राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बर्खास्त कर दिया गया।’