1. Home
  2. हिन्दी
  3. राजनीति
  4. गुजरात : विजय रूपाणी के इस्तीफे पर बेटी ने पूछा – क्या सिर्फ कठोर छवि ही नेता की पहचान
गुजरात : विजय रूपाणी के इस्तीफे पर बेटी ने पूछा – क्या सिर्फ कठोर छवि ही नेता की पहचान

गुजरात : विजय रूपाणी के इस्तीफे पर बेटी ने पूछा – क्या सिर्फ कठोर छवि ही नेता की पहचान

0
Social Share

नई दिल्ली, 14 सितम्बर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के गृह राज्य गुजरात में नाटकीय घटनाक्रम के तहत विजय रूपाणी को हटाकर भूपेंद्रभाई पटेल की ताजपोशी की जा चुकी है और राजनीतिक विश्लेषक अपने–अपने हिसाब से इस बदलाव का निहितार्थ खोजने में लगे हैं। कोई कह रहा है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने राज्य में नाराज चल रहे शक्तिशाली पाटीदार समुदाय को संतुष्ट करने के लिए यह कदम उठाया है तो दूसरों का मानना है कि पार्टी संगठन से तालमेल के अभाव के कारण रूपाणी को हटना पड़ा। हालांकि रूपाणी के इस्तीफे के पीछे कई लोग उनके अलोकप्रिय चेहरे को वजह बता रहे हैं। लेकिन रूपाणी की बेटी राधिका ने ऐसे लोगों को जमकर लताड़ लगाई है और सवाल उछाला है कि क्या कठोर छवि ही नेता की पहचान होती है।

पूर्व सीएम रूपाणी की बेटी राधिका ने एक फेसबुक पोस्ट लिखा है, जिसका शीर्षक है – ‘एक बेटी के नजरिए से विजय रूपाणी’। इस पोस्ट के जरिए राधिका ने गुजरे वर्षों की पारिवारिक व राजनीतिक घटनाक्रमों सहित कई यादों को कुरेदते हुए अपनी पीड़ा जाहिर की है।

राधिका ने इस पोस्ट में उन सभी लोगों को आड़े हाथों लिया है, जिनका कहना था कि उनकी ‘मृदुल छवि’ उनको हटाए जने का कारण बनी। राधिका ने लिखा – ‘क्या राजनेताओं में संवेदनशीलता नहीं होना चाहिए? क्या यह एक आवश्यक गुण नहीं है, जो हमें एक नेता में चाहिए? उन्होंने (रूपाणी ने) कड़े कदम उठाए हैं और भूमि हथियाने वाला कानून, लव जिहाद, गुजरात आतंकवाद नियंत्रण और संगठित अपराध अधिनियम (गुजसीटीओसी) जैसे फैसले इस बात के सबूत हैं। क्या कठोर चेहरे का भाव पहनना…एक नेता की निशानी है?’

मेरे पिता ने कभी गुटबाजी का समर्थन नहीं किया

फेसबुक पोस्ट में राधिका ने कहा, “घर पर हम हमेशा चर्चा करेंगे कि क्या एक साधारण व्यक्ति (मेरे पिता की तरह) भारतीय राजनीति में जीवित रहेगा, जहां भ्रष्टाचार और नकारात्मकता प्रचलित है। मेरे पिता हमेशा कहते थे कि राजनीति और राजनेताओं की छवि भारतीय फिल्मों और सदियों पुरानी धारणा से प्रभावित है और हमें इसे बदलना होगा। उन्होंने कभी भी गुटबाजी का समर्थन नहीं किया और यही उनकी विशेषता थी। कुछ राजनीतिक विश्लेषक सोच रहे होंगे कि – ‘यह विजयभाई के कार्यकाल का अंत है’ – लेकिन हमारी राय में उपद्रव या प्रतिरोध के बजाय, आरएसएस और भाजपा (एसआईसी) के सिद्धांतों के मुताबिक सत्ता को लालच के बिना छोड़ देना बेहतर है।”

दिक्कतों के दौरान रात 2.30 बजे तक व्यस्त रहते थे

रूपाणी की बेटी ने लिखा, ‘बहुत कम लोग जानते हैं कि कोरोना और ताउते तूफान जैसी बड़ी दिक्कतों में मेरे पिता रात 2.30 बजे तक जगा करते थे और लोगों के लिए व्यवस्था कराते थे, फोन पर लगे रहते थे।  कई लोगों के लिए मेरे पिता का कार्यकाल एक कार्यकर्ता के रूप में शुरू हुआ और कई राजनीतिक पदों के जरिए मुख्यमंत्री तक पहुंचा।

लेकिन मेरे विचार से मेरे पिता का कार्यकाल 1979 मोरबी बाढ़, अमरेली में बादल फटने की घटना, कच्छ भूकंप,  स्वामीनारायण मंदिर आतंकवादी हमले, गोधरा की घटना, बनासकांठा की बाढ़ से शुरू हुआ। ताउते तूफान और यहां तक ​​कि कोविड के दौरान भी मेरे पिता पूरी जान लगाकर काम कर रहे थे।’

अक्षरधाम हमले के वक्त नरेंद्र मोदी से पहले मंदिर परिसर पहुंचे थे मेरे पिता

राधिका ने बचपन का जिक्र करते हुए लिखा, ‘पापा ने कभी अपना निजी काम नहीं देखा। उन्हें जो जिम्मेदारी मिली उसे पहले निभाया। कच्छ के भूकंप के समय भी सबसे पहले गए। बचपन में भी मम्मी-पापा हमें घुमाने नहीं ले जाते थे।

वे हमें मूवी थिएटर नहीं बल्कि किसी कार्यकर्ता के यहां ले जाते थे, स्वामी नारायण अक्षरधाम मंदिर में आंतकी हमले के वक्त मेरे पिता वहां पहुंचने वाले पहले शख्स थे, वह नरेंद्र मोदी से पहले ही मंदिर परिसर पहुंचे थे।’

LEAVE YOUR COMMENT

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Join our WhatsApp Channel

And stay informed with the latest news and updates.

Join Now
revoi whats app qr code