लखनऊ, 9 सितम्बर। विधानसभा चुनाव 2022 पर नजर डालें तो सारे मुददे एक तरफ और ब्राह्मण लुभाओ अभियान दूसरी तरफ। यह हाल किसी एक दल का नहीं है, सत्ता की धुरी बने ब्राह्मण की परिक्रमा में इन दिनों सारे दल लगे हुए हैं। इसके पीछे एक बड़ी वजह यह भी है कि ब्राह्मण परंपरागत रूप से भाजपा का वोटर माना जाता है और अन्य दल उसे भाजपा के खेमे से अलग कर भाजपा को कमजोर भी करना चाहते हैं।
ब्राह्मण मत भाजपा का बेस वोट बैंक माने जाते हैं। भले ही भाजपा लाख दावा करे, लेकिन ब्राह्मण वोटर इस बार पार्टी से नाराज है। इसका लाभ उठाने के लिए कांग्रेस की ओर से प्रियंका गांधी ने जिम्मा संभाल रखा है। इसी तरह समाजवादी पार्टी ब्राह्मणों के उत्पीड़न को मुद्दा बनाकर लगातार भाजपा सरकार को घेर रही है। बसपा ने तो खुलकर ब्राह्मण कार्ड खेला है। पार्टी इस बार बड़ी संख्या में ब्राह्मणों को टिकट बांटने की भी तैयारी में है। उधर, भाजपा भी प्रबुद्ध सम्मेलनों के जरिए रूठों को मनाने का प्रयास कर रही है।
- इसलिए महत्वपूर्ण है यह वोट बैंक
ब्राह्मण समाज का प्रबुद्ध तबका माना जाता है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि ब्राह्मण जिधर भी जाता है, वह अपने साथ सर्वण वोटबैंक का एक बड़ा हिस्सा लेकर जाता है, जिसमें क्षत्रिय और वैश्य भी शामिल होते हैं। इसके अलावा ब्राह्मण मतदाता मुखर होकर किसी भी दल के लिए माहौल बनाने का काम भी करते हैं।
- 2017 में रामलहर, 2022 में परशुराम लहर
प्रदेश में इन दिनों एक नया नारा गूंज रहा है। यह नारा है ‘2017 में रामलहर, 2022 में परशुराम लहर’। यानि ब्राह्मण मत इस बार अपनी अहमियत दिखाने के लिए संगठित भी हो रहे हैं। सोशल मीडिया के प्लेटफार्म इन दिनों इस अभियान से भरे पड़े हैं।