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अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में खुलासा : कोरोना फैलने से पहले ही बीमार पड़े थे वुहान लैब के शोधकर्ता

अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में खुलासा : कोरोना फैलने से पहले ही बीमार पड़े थे वुहान लैब के शोधकर्ता

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वॉशिंगटन, 24 मई। कोरोना संक्रमण की उत्पत्ति वस्तुतः कैसे और कहां हुई, इसकी आधिकारिक पुष्टि भले ही अब तक नहीं हुई है, लेकिन चीन की वुहान लैब शुरुआत से शक के दायरे में रही है। अब एक अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में नया खुलासा किया गया है इस महामारी के फैलने से पहले ही वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के तीन शोधकर्ता नवंबर, 2019 में बीमार पड़े थे और उन्हें अस्पताल में भर्ती भी कराना पड़ा था।

अमेरिकी समाचार पत्र ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ की रिपोर्ट में वुहान लैब के बीमार पड़े शोधकर्ताओं की संख्या, उनके बीमार पड़ने के समय और अस्पताल जाने से जुड़ी अन्य विस्तृत जानकारियां हैं। यह खुफिया रिपोर्ट सामने आने के बाद एक बार फिर उस दावे को बल मिलेगा, जिसके तहत कोरोना महामारी के वुहान लैब से फैलने की आशंका जताई जा रही थी।

गौरतलब है कि यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है, जब विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की टीम सोमवार को कोविड-19 की उत्पत्ति से जुड़े अगले चरण की जांच पर चर्चा करने वाली है। राष्ट्रीय सुरक्षा काउंसिल की प्रवक्ता ने हालांकि अखबार की रिपोर्ट पर कोई टिप्पणी नहीं दी, लेकिन उन्होंने कहा कि बाइडेन प्रशासन चीन में उत्पत्ति स्थान सहित कोरोना महामारी के शुरुआती दिनों की जांच को लेकर गंभीर है।

वुहान लैब को लेकर व्यक्त की गईं शंकाओं को खारिज कर चुका है डब्ल्यूएचओ

इसके पहले डब्ल्यूएचओ की एक टीम इसी वर्ष कोरोना  महामारी से जुड़े तथ्यों का पता लगाने के लिए वुहान गई थी। हालांकि वापसी के बाद डब्ल्यूएचओ की टीम ने कहा था कि यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं है कि कोरोना वायरस वुहान की लैब से दुनियाभर में फैला।

चीन ने इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम को कोरोना मामलों का रॉ डेटा देने से भी इनकार कर दिया था। इसका खुलासा जांच टीम के एक सदस्य ने ही किया था।

ज्ञातव्य है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने यह आशंका जाहिर की थी कि कोरोना वायरस चीन की वुहान लैब से निकला। हालांकि, बीजिंग इस दावे को खारिज करता रहा है।

अखबार की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि लैब शोधकर्ताओं के बारे में खुफिया जानकारी रखने वाले कई मौजूदा और पूर्व अधिकारियों ने इसके समर्थन में अपना पक्ष रखा है और इसकी जांच की मांग की है। हालांकिवॉशिंगटन में चीनी दूतावास ने अभी तक इस पर चुप्पी साधे रखी है।

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