कोरोना संकट : उत्तर प्रदेश में वैक्सिनेशन की रफ्तार घटी, ज्यादातर टीकाकरण केंद्र बंद
लखनऊ, 12 मई। कोरोना संकट के दौरान पूरे देश में वैक्सीन की कमी से उत्तर प्रदेश भी अछूता नहीं है। यही वजह है कि राज्य में टीकाकरण की रफ्तार थोड़ी धीमी पड़ गई है। प्रदेशभर में पहले आठ हजार टीकाकरण केंद्र बनाए गए थे, लेकिन अब मंगलवार को तीन हजार केंद्रों पर टीकाकरण किया गया। इनमें 18 से 44 वर्ष तक के लिए 300 टीकाकरण केंद्र भी शामिल हैं। इसी क्रम में लाभार्थियों की संख्या भी 50 फीसदी से कम रह गई है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में इसी वर्ष एक जनवरी से टीकाकरण अभियान चल रहा है। वर्तमान में इसका पांचवा चरण चल रहा है, जिसके तहत 18 से 44 वर्ष तक के लोगों को 18 जनपदों में वैक्सीन लगाई जा रही है। इसके अलावा 45 वर्ष से ऊपर के लोगों का भी सभी जनपदों में टीकाकरण किया जा रहा है।
राज्य में शुरुआत में औसतन चार से पांच लाख लोगों को वैक्सीन लगाई जा रही थी। सर्वाधिक वैक्सिनेशन के मामले में प्रदेश ने देश में रिकॉर्ड भी कायम किया। लेकिन अब यह संख्या घट गई है और मई में अब तक औसतन पौने दो लाख से लेकर दो लाख तक लाभार्थियों को वैक्सीन लगाई गई है। राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ. अजय घई के अनुसार तीन हजार केंद्रों पर टीकाकरण अभियान जारी है और जल्द ही यह संख्या बढ़ेगी।
सरकारी सूत्रों के अनुसार राज्य में टीकाकरण अभियान कमजोर पड़ने के कई कारण हैं। एक तो अप्रैल माह में कोरोना की भयावहता के चलते बड़ी संख्या में स्वास्थ्यकर्मी वायरस स्क्रीनिंग अभियान की ड्यूटी में लगा दिए गए। फिर उनका संक्रमण की चपेट में आना भी कारक बना। वहीं दूसरी ओर वैक्सीन की आपूर्ति और उपलब्धता में कमी के चलते भी वैक्सिनेशन का ग्राफ गिरा। यही वजह रही कि निजी अस्पतालों में टीका लगना शुरू नहीं हो सका।
इस बीच ऑनलाइन पंजीकरण शुरू होने से बुजुर्गों की परेशानी बढ़ गई है। पहले वैक्सीन के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से पंजीकरण हो रहे थे। लेकिन बीते सोमवार से सिर्फ ऑनलाइन पंजीकरण ही रखा गया है और ऑफलाइन पंजीकरण सुविधा समाप्त कर दी गई है। इसके चलते बुजुर्गों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।