राजकोट, 13 दिसम्बर। राजकोट जिले के कोटदासंगनी तालुका स्थित एक गोशाला में संदिग्ध विषाक्त भोजन से 80 गायों की मौत हो गई है। गोसेवा से वर्षों से जुड़े श्री रामगर बापू गोसेवा ट्रस्ट की यह गोशाला संधवाया गांव में है। पता चला है कि पिछले 24 घंटों के दौरान इन गायों की हुई है। फिलहाल संबंधित अधिकारियों ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
मूंगफली के छिलके खाने से गायों की मौत की आशंका
प्राप्त जानकारी के अनुसार इस गोशाला में 400 से ज्यादा गायों की सेवा की जाती है, लेकिन शुक्रवार को 80 से अधिक गायों की संदिग्ध फूड प्वॉइजनिंग से मौत होने से पूरे इलाके में दुख का माहौल है। शुरुआती जांच के अनुसार माना जा रहा है कि गायों की मौत उन्हें दिए गए मूंगफली के छिलके खाने से हुई।
गोशाला पहुंची वेटनरी टीम
बताया जा रहा है कि गायों की मौत की संख्या बढ़ भी सकती है। 20 से अधिक प्रभावित गायों का इलाज शुरू कर दिया गया है। राजकोट, गोंडल और कोटदासंगानी जैसे इलाकों से वेटनरी टीमें संधवाया पहुंच गई हैं, जो प्रभावित गायों का इलाज कर रही हैं। गायों की मौत का सही कारण जानने के लिए पोस्टमॉर्टम समेत अन्य कानूनी काररवाई शुरू कर दी गई है।
जिला प्रशासन भी घटना को गंभीरता से लेते हुए हरकत में आ गया है। जिला कलेक्टर डॉ. ओम प्रकाश, जिला विकास अधिकारी आनंदू सुरेश गोविंद और अन्य बड़े अधिकारियों ने शनिवार को गोशाला का दौरा किया। अधिकारियों ने भरोसा दिलाया कि प्रभावित गायों का उचित इलाज किया जाएगा।
मौके पर भेजी गई पशुपालन विभाग की टीम
गुजरात के पशुपालन मंत्री जीतूभाई वघानी ने पूरे मामले को गंभीरता से लिया है। मंत्री के निर्देश पर पशुपालन विभाग की एक हाई-लेवल टीम को तुरंत मौके पर भेजा गया। मंत्री ने टीम को पूरी स्थिति पर नजर रखने और गायों के तुरंत बचाव और इलाज के उपाय करने का आदेश दिया है।
जांच के लिए FSL भेजे गए सैंपल
अधिकारियों के अनुसार, मौत का सही कारण पता लगाने के लिए प्रशासन ने त्वरित काररवाई की है। गायों को दिए जाने वाले चारे, पानी और दूसरे खाने के सैंपल तुरंत इकट्ठा किए गए हैं। मौत का सही कारण पता लगाने के लिए इन सैंपल को राजकोट स्थित फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) भेजा गया है।
अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल 16 पशु चिकित्सकों की टीमें गायों का गहन इलाज कर रही हैं ताकि प्रभावित गायों को बचाया जा सके। जिला कलेक्टर और अन्य बड़े अधिकारियों के गोशाला का दौरा करने के बाद अब राज्यस्तर पर भी निगरानी शुरू कर दी गई है।
