नई दिल्ली, 23 सितम्बर। नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने आज कहा कि मोदी सरकार के दौरान देश के किसानों की आय में 60 प्रतिशत की वृद्धि हुयी है। मेश चंद ने फिक्की की ओर से आयोजित कृषि रसायन सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि हाल में हुए एक सरकारी सर्वेक्षण में मोदी सरकार के दौरान किसानों की आय में 60 प्रतिशत की वृद्धि होने का पता चला है। सरकार ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया था ।
कृषि विशेषज्ञ ने कहा कि कुछ राज्यों में किसानों की आय दोगुनी हुयी है , लेकिन उन्होंने इसका विवरण नहीं दिया है। उन्होंनें कहा कि पांच साल में खेती से किसानों की आय दोगुना करना आसान नहीं होता है। फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में ज्यादा वृद्धि से किसानों की आय बेहतर हो सकती है लेकिन इसके लिए उपभोक्ताओं को अधिक कीमत चुकानी होगी जिसका दुसरी चीजों पर असर होगा ।
उन्होंने कहा कि कृषि उपज बढाने में रसायनों का भारी योगदान रहा है और खेती में रासायनों के प्रयोग से हम अलग भी नहीं हो सकते । खेती में रसायनों का उपयोग संतुलित ढंग से होना चाहिए । उन्होंने उत्तम खेती के लिए रसायन और जैविक पद्धति को एक साथ लेकर चलने पर जोर देते हुए कहा कि श्रीलंका ने केवल जैविक खेती का प्रयोग शुरु किया था जिसका परिणाम दुनिया देख रही है । यह प्रयोग श्रीलंका के लिए घातक साबित हुआ है ।
रमेश चंद ने कहा कि जमाना जैविक का है और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद रासायनिक और जैविक खेती साथ साथ करने पर जोर दे रहा है । श्रृंगार प्रसाधन में भी महिलाएं रसायन के कम से कम उपयोग चाहती हैं। उन्होंने रसायन के दु:प्रभाव को कम कम से कम करने पर जोर देते हुए कहा कि सरकार की कोई ऐसी नीति नहीं है जिससे इससे जुड़े उद्योगों पर खतरा हो ।
उन्होंने कृषि उत्पादन बढाने में रसायन के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि हरित क्रांति के दौरान जिप्सम के उपयोग से बीरान जमीन में फसलें लहलहा उठी थी। खेती में रसायनों के बेहतर परिणाम की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि बीज में रसायन के उपयोग से अंकुरण अच्छा होता है , पौधों में बीमारी नहीं लगती है और पोषक तत्वों का बहुत अच्छा लाभ मिलता है। फसल पूर्व और फसल तैयार होने के उपरांत रसायन की जरुरत है ।
रमेश चंद ने कहा कि पिछले 50 साल से खाद्यान्न उत्पादन जनसंख्या की वृद्धि दर से ज्यादा है। खाद्यान्न उत्पादन वृद्धि दर तीन प्रतिशत है जबकि जनसंख्या वृद्धि दर 2.5 प्रतिशत से घटकर 1.3 प्रतिशत पर आ गयी है। बढ़ी हुयी आबादी के लिए अब प्रति व्यक्ति खाद्यान्न दोगुना पैदा हो रहा है। उन्होंने चीन की कृषि उत्पादन की चर्चा करते हुए कहा कि कहा जाता है कि भारत से चीन की उत्पादकता दो से तीन गुना ज्यादा है तो फिर वह चावल और सोयाबीन का दुनिया में सबसे बड़ा आयातक क्यों हैं। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है जो इसकी आधी आबादी को चावल की आपूर्ति करता है । एक समय मांस निर्यात में भी भारत पहले स्थान पर था।