19 वर्षीय वेदमूर्ति ने 2000 मंत्रों और वैदिक श्लोकों का किया शुद्ध उच्चारण, पीएम मोदी ने की सराहना
नई दिल्ली, 2 दिसम्बर। उत्तर प्रदेश के वाराणसी (काशी) में मंगलवार को एक अद्भुत आध्यात्मिक उत्सव का आयोजन हुआ, जब महाराष्ट्र के 19 वर्षीय वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे को दंडाक्रमा पारायण पूरा करने पर सम्मानित किया गया। यह पारायण शुक्ल यजुर्वेद (मध्यांदीनी शाखा) के लगभग 2,000 मंत्रों का एक अत्यंत जटिल और कठिन उच्चारण है, जिसे उन्होंने 50 दिनों तक बिना किसी रुकावट के लगातार पूरा किया। इसे वैदिक परंपरा में लगभग 200 वर्षों के बाद पहली बार शुद्ध शास्त्रीय शैली में किया गया माना जा रहा है।
वह हमारी गुरु परंपरा के सबसे अच्छे उदाहरण – पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि पर देववव्रत महेश रेखे की तारीफ करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में लिखा, ‘19 साल के वेदमूर्ति देवव्रत महेश रेखे ने जो किया है, उसे आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी! भारतीय संस्कृति से प्यार करने वाले हर इंसान को उन पर गर्व है कि उन्होंने शुक्ल यजुर्वेद की माध्यंदिनी शाखा के 2000 मंत्रों वाले दंडक्रम पारायण को बिना किसी रुकावट के 50 दिनों में पूरा किया। इसमें कई वैदिक श्लोक और पवित्र शब्द शामिल हैं, जिनका बिना किसी गलती के उच्चारण किया गया। वह हमारी गुरु परंपरा के सबसे अच्छे उदाहरण हैं।’
19 वर्ष के देवव्रत महेश रेखे जी ने जो उपलब्धि हासिल की है, वो जानकर मन प्रफुल्लित हो गया है। उनकी ये सफलता हमारी आने वाली पीढ़ियों की प्रेरणा बनने वाली है।
भारतीय संस्कृति में आस्था रखने वाले हर एक व्यक्ति को ये जानकर अच्छा लगेगा कि श्री देवव्रत ने शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिन… pic.twitter.com/YL9bVwK36o
— Narendra Modi (@narendramodi) December 2, 2025
पीएम मोदी ने आगे लिखा, ‘काशी से सांसद होने के नाते, मुझे बहुत खुशी है कि यह अनोखा काम इस पवित्र शहर में हुआ। उनके परिवार, कई संतों, ऋषियों, विद्वानों और पूरे भारत के संगठनों को मेरा प्रणाम, जिन्होंने उनका साथ दिया।’
इस उपलब्धि के लिए सम्मानित किए गए देवव्रत महेश रेखे
इस उपलब्धि के सम्मान में देवव्रत महेश रेखे को पांच लाख रुपये मूल्य की स्वर्ण कंगन और 1,11,116 रुपये से सम्मानित किया गया। यह सम्मान दक्षिणामनया श्री शृंगेरी शारदा पीठम के जगद्गुरु शंकराचार्यों के आशीर्वाद के साथ प्रदान किया गया।
सम्मान समारोह के दौरान एक भव्य जुलूस निकाला गया, जो रथ यात्रा क्रॉसिंग से महमूरगंज तक गया। जुलूस में 500 से अधिक वेद छात्र, पारंपरिक संगीतकार और शंखध्वनि की गूंज ने पूरे नगर को एक विशाल वैदिक उत्सव में बदल दिया। राहगीरों और श्रद्धालुओं ने सड़कों पर खड़े होकर फूलों की बारिश की।
