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गुजरात : ‘हर घर नल से जल’ योजना में 123 करोड़ के घोटाले का पर्दाफाश, 12 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज

गुजरात : ‘हर घर नल से जल’ योजना में 123 करोड़ के घोटाले का पर्दाफाश, 12 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज

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अहमदाबाद, 26 जून। गुजरात में मनरेगा घोटाले के बाद अब ‘हर घर नल से जल’ योजना में बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। महिसागर जिले के 620 गांवों में इस योजना के तहत हुए कार्यों में 123 करोड़ रुपए के दुरुपयोग की शिकायत सामने आने के बाद गुजरात सरकार ने खुद अपने 12 कर्मचारियों के खिलाफ CID क्राइम शाखा वडोदरा में शिकायत दर्ज कराई है।

महिसागर जिले के 620 गांवों में इस योजना को लागू किया गया था

उल्लेखनीय है कि यह योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट मानी जाती है, जिसके तहत गांव-गांव पानी की पाइपलाइन बिछाकर हर घर तक नल से पीने का पानी पहुंचे। महिसागर जिले के 714 गांवों में से 620 गांवों में इस योजना को लागू किया गया था, जिसमें लगभग 238 रुपये करोड़ की राशि खर्च की गई।

घरों में एक बूंद पानी नहीं पहुंचा, सरकारी दस्तावेजों में कार्य पूर्ण दिखा दिया

लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि इन गांवों में न तो पाइपलाइन बिछाई गई और न ही नल कनेक्शन मिले। यानी किसी भी घर तक एक बूंद पानी नहीं पहुंचा। इसके बावजूद सरकारी दस्तावेजों में यह दर्शाया गया कि कार्य पूर्ण हो चुका है। इस मामले में जिला वास्मो कार्यालय के तत्कालीन यूनिट मैनेजर ए.जी. राजपरा और 11 आउटसोर्स कर्मचारियों पर आरोप लगाया गया है।

जिला वास्मो यूनिट के वर्तमान मैनेजर गिरीश अंगोला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें यह बताया गया कि इन 620 गांवों में एजेंसियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी बिल, झूठे कार्य विवरण और नकली कागजात तैयार किए गए। इन दस्तावेजों के आधार पर यह दिखाया गया कि संबंधित गांवों में नल कनेक्शन, पाइपलाइन और अन्य सहायक कार्य पूरे कर दिए गए जबकि ऐसा कुछ भी जमीन पर नहीं हुआ।

मंत्री ऋषिकेश पटेल ने मीडिया को दी जानकारी

गुजरात सरकार के प्रवक्ता और मंत्री ऋषिकेश पटेल ने मीडिया को बताया कि सरकार को जब इस धोखाधड़ी की जानकारी मिली, तब मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल के निर्देश पर प्राथमिक जांच कराई गई। जांच में घोटाले की पुष्टि होते ही 12 कर्मचारियों के खिलाफ CID में औपचारिक शिकायत दर्ज की गई।

मंत्री ने कहा, ‘जैसे ही लापरवाही और धोखाधड़ी सामने आई, तुरंत काररवाई की गई। संबंधित अधिकारियों को निलंबित किया गया, कई के तबादले किए गए और लगभग 112 एजेंसियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। जांच पूरी होने के बाद किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।’

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