देहरादून, 19 जुलाई। उत्तराखंड के चमोली जिले के जल मल शोधन संयंत्र (एसटीपी) में बुधवार को पूर्वाह्न हुए दर्दनाक हादसे के बाद उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) ने माना कि फीडर के जम्पर को लगाने के लिए लिया गया शटडाउन वापस लेने के बाद हादसा हुआ। हालांकि, पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड की ओर से प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि मामले की गहन जांच के बाद ही वास्तविक कारणों का पता चल सकेगा। इस हादसे में 15 लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।
यूपीसीएल के निदेशक (परिचालन) एमएल प्रसाद से मिली प्रारंभिक रिपोर्ट के हवाले से बताया गया है कि नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत चमोली पुल के पास 11 केवी निजमुला फीडर से एसटीपी का 20 किलोवाट का संयोजन है। लाइनमैन द्वारा फीडर की गश्त के दौरान एसटीपी के समीप खंभे पर एक जम्पर निकला पड़ा पाया गया। इस जम्पर को लगाने के लिए पूर्वाह्न 11.15 से 11.35 के बीच शटडाउन लिया गया था। शटडाउन वापस लेने के पश्चात पता चला कि एसटीपी में करंट फैलने से दुर्घटना हो गई।
विज्ञप्ति के अनुसार चमोली जिला मुख्यालय गोपेश्वर में तैनात अधीशासी अभियंता ने बताया कि मंगलवार को एसटीपी में हुई दुर्घटना के बारे में उपाकालि को जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा कि मृतक के पंचनामा और पोस्टमार्टम के लिए पुलिस तथा अन्य कई लोग सुबह एसटीपी परिसर में एकत्रित हुए थे और उनके ऑपरेटर द्वारा मेनस्विच चालू करने के उपरांत टीनशेड के आसपास करंट फैल गया और वहां मौजूद लोगों के साथ हादसा हुआ। उन्होंने जोर देकर कहा कि उक्त स्थान पर स्थापित ट्रांसफार्मर एवं एसटीपी के परिसर में स्थापित विद्युत मीटर में प्रथम दृष्टया कोई कमी नहीं है और संभवत: मीटर से आगे परिसर में ही कोई आंतरिक दोष था।
विज्ञप्ति में बताया गया है कि प्रसाद तथा मुख्य अभियंता, वितरण, गढ़वाल क्षेत्र घटनास्थल के लिए रवाना हो गए हैं तथा प्रारंभिक मुआवजे के तौर पर 25 लाख रुपये की राशि उपाकालि मुख्यालय से तत्काल जारी कर दी गई है। इस संबंध में पूछे जाने पर उपाकालि के शीर्ष अधिकारियों ने कहा, ‘हम अपनी ओर से पूरी जानकारी प्रेस विज्ञप्ति में दे चुके हैं।’