प्रयागराज, 12 मार्च। यूपी में 18वीं विधानसभा के गठन के लिए हुए चुनाव में भाजपा ने माफिया का खात्मा मुख्य मुद्दा रखा। पूरा चुनाव विकास, कानून व्यवस्था और माफिया की अवैध संपत्ति पर बुलडोजर चलाने पर केंद्रित रहा। विपक्ष ने भी इसे लेकर अपने तरीके से हमला बोला। इसका नतीजा रहा कि इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट पर सिद्धार्थनाथ सिंह दोबारा जीतने में सफल रहे। यह सीट माफिया अतीक अहमद के प्रभाव की मानी जाती है लेकिन इस चुनाव में बुलडोजर माफिया की राजनीति पर भी चल गया।
अतीक के परिवार ने इस चुनाव में पूरी तरह खुद को अलग रखा। माना जा रहा है कि जो भय कभी यहां माफिया का होता था वह अब समाप्त हो चुका है। पिछले पांच साल में कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह लगातार इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा में सक्रिय रहे। अलग अलग गांवों में जाकर लोगों के साथ बैठक करने से लेकर उनकी समस्याओं को सुनने तक के सकारात्मक नतीजे आए। इसके अतिरिक्त क्षेत्र में बड़ी परियोजनाओं की भी आधारशिला रखी गई।
तमाम स्वयं सहायता समूहों का गठन कर महिलाओं को रोजगार से जोड़ने का प्रयास भी रंग लाया। खास बात यह कि क्षेत्र में 60 हजार से अधिक मुस्लिम, 80 हजार दलित, 40 हजार पाल, इतने ही पटेल मतदाता हैं। इनका ध्रुवीकरण कराने में भी भाजपा सफल रही।
- अतीक अहमद ने पांच बार जीत हासिल कर लोहा मनवाया था
इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा कभी अतीक का गढ़ मानी जाती थी। यहां से लगातार पांच बार विधायक बनने में सफल रहे। समय का चक्र घूमा सब कुछ बदल गया। परिस्थितियां इतनी प्रतिकूल हुईं कि अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता एआइएमआइएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) से चुनाव लड़ना चाहती थीं। ऐन मौके पर उन्होंने निर्णय बदल दिया। इसकी वजह पति और देवर का जेल में बंद होना व दोनों बेटों का फरार होना था।