नई दिल्ली, 2 अगस्त। तृणमूल कांग्रेस की सांसद शर्मिला सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में सरकार से आग्रह किया कि जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे से मुक्त किया जाए। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर चर्चा में भाग लेते हुए यह भी कहा कि अगर सरकार जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम से जीएसटी खत्म नहीं करेगी तो उनकी पार्टी बड़ा आंदोलन शुरू करेगी।
शर्मिला सरकार ने कहा, ‘‘मैं तृणमूल कांग्रेस की तरफ ये यह मांग करती हूं कि जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा से जीएसटी हटाया जाना चाहिए।’’ जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा 18 प्रतिशत जीएसटी देय होती है। इससे पहले तृणमूल कांग्रेस नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने सदन में प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद यह मांग उठाई थी।
तृणमूल सांसद ने यह भी कि अगर कहीं भी नया एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) खोला जाता है तो यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उसके मानक और उसकी सुविधाएं भी उसी स्तर की हों। शिवसेना (यूबीटी) के सांसद राजाभाऊ वाजे ने भी कहा कि स्वास्थ्य बीमा के प्रीमियम से जीएसटी हटाई जानी चाहिए।
वहीं चर्चा में भाग लेते हुए द्रमुक सांसद रानी श्रीकुमार ने तमिलनाडु में मेडिकल प्रवेश परीक्षा ‘नीट’ अभ्यर्थियों की खुदकुशी के मामलों का उल्लेख करते हुए कहा कि नीट गरीब विरोधी और गांव के बच्चों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को नीट को पूरे देश से खत्म करना चाहिए और राज्य सरकारों को इसकी अनुमति मिले कि वे मेडिकल पाठ्यक्रमों में दाखिले के बारे में फैसला करें।
समाजवादी पार्टी के सांसद लालजी वर्मा ने कहा कि सरकार की ओर से मेडिकल कॉलेज बढ़ाने की बात कही गई, लेकिन अवसंरचना के लिए खर्च कम हुआ है। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि यदि ‘आयुष्मान भारत’ कार्डधारक किसी भी अस्पताल में पहुंचे तो उसका इलाज तत्काल शुरू हो। जनता दल (यूनाइटेड) के सांसद रामप्रीत मंडल ने कहा कि बजट में स्वास्थ्य के लिए 90 हजार करोड़ रुपये से अधिक का प्रावधान किया गया है जिससे स्वास्थ्य सेवा में सुधार के साथ अनुसंधान का दायरा भी बढ़ेगा।