नई दिल्ली, 15 सितम्बर। भारतीय वायु सेना को अक्टूबर के अंत तक पहला लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस एमके-1ए मिलने का रास्ता साफ हो गया है। इस क्रम में LCA तेजस एमके-1ए सॉफ्टवेयर का अंतिम परीक्षण पूरा हो गया है।
उल्लेखनीय है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में अपनी वॉशिंगटन यात्रा के दौरान तेजस एमके-1ए में लगने वाले इंजन की आपूर्ति में देरी का मुद्दा उठाया था। सहमति बनने के बाद इंजन निर्माता कम्पनी ने कार्यक्रम संशोधित किया है, जिसके मुताबिक भारत को नवम्बर से नए जनरल इलेक्ट्रिक एफ-404 इंजन मिलने लगेंगे।
सॉफ्टवेयर में बदलाव की भारतीय वायु सेना के साथ फरवरी, 2021 में अनुबंध होने के बाद हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को इसी वर्ष मार्च से नए विमान की आपूर्ति होनी थी। सॉफ्टवेयर में बदलाव की मांग वायु सेना ने ही की थी, जिसके चलते विमान की डेलिवरी में कम से कम चार महीने की देरी हुई है। पहला तेजस विमान बी श्रेणी के इंजन के साथ दिया जाएगा। यह इंजन तेजस विमानों के लिए अमेरिकी कम्पनी जनरल इलेक्ट्रिक (जीई) के साथ सौदे के पहले हिस्से के रूप में भारत को मिला था।
वायु सेना के एक अधिकारी ने बताया कि सॉफ्टवेयर में बदलाव का काम पूरा हो चुका है और पहला विमान अक्टूबर के अंत तक डेलिवर हो जाएगा। एचएएल के मुताबिक तेजस एमके-1ए में डिजिटल रडार चेतावनी रिसीवर, एक बाहरी ईसीएम पॉड, एक आत्म-सुरक्षा जैमर, एईएसए रडार, रखरखाव में आसानी और एवियोनिक्स, वायुगतिकी, रडार में सुधार किया गया है। इसमें उन्नत शॉर्ट रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल(एएसआरएएएम) और एस्ट्रा एमके-1 एयर टू एयर मिसाइल लगाईं जाएंगी।
वायुसेना को प्रतिवर्ष 20 तेजस एमके-1ए विमान मिलेंगे
तेजस एमके-1ए के 20 विमान प्रति वर्ष वायुसेना को मिलेंगे। तेजस एमके-1ए की आपूर्ति 2024 से शुरू होगी और 2027 तक पूरे 83 विमान वायुसेना को मिल जाएंगे। इनमें 73 लड़ाकू विमान और 10 ट्रेनर विमान होंगे। एलसीए तेजस एमके-1ए संस्करण में फिलहाल स्वदेशी सामग्री 50 फीसदी है, जिसे 60 फीसदी तक बढ़ाया जाएगा।