नई दिल्ली, 26 अगस्त। भारतीय सेना की मैकेनाइज्ड इंफ्रेंट्री में हाल में स्वॉर्म ड्रोन्स शामिल किए गए हैं। इससे सेना की ताकत में इजाफा होगा। स्वॉर्म ड्रोन्स खास तकनीक से लैस होते हैं और झुंड में हमला करने के लिए जाने जाते हैं।
भारतीय सेना ने इस आशय की जानकारी देते हुए ट्वीट किया, ‘स्वार्म ड्रोन्स को मैकेनाइज्ड फोर्सेस में शामिल किया जा रहा है, जो शानदार और विघटनकारी तकनीकों से लैस हैं। भारतीय सेना को भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने में यह ड्रोन एक बढ़त प्रदान करेगा।’
स्वार्म ड्रोन की खासियत
विशेष तकनीक से लैस स्वार्म ड्रोन की खासियत है कि यह झुंड में एक साथ उड़ान भरकर अपने लक्ष्य को भेद सकते हैं। स्वॉर्म ड्रोन एक सिस्टम है, जिसमें एक साथ सैकड़ों ड्रोन उड़ान भरते हैं। कंट्रोल स्टेशन से नियंत्रित किए जाने वाले ये ड्रोन अलग-अलग लक्ष्यों पर निशाना लगा सकते हैं। यही खूबी इन्हें खास और खतरनाक बना देती है। गत 29 जनवरी को नई दिल्ली में बीटिंग रिट्रीट समारोह के दौरान एक हजार ड्रोन्स ने एक साथ आसमान में उड़ान भरी थी, जिसे देखकर हर कोई हैरान रह गया था।
#KnowYourArmy#SwarmDrones being inducted into the Mechanised Forces, duly embracing the niche & disruptive technologies, will provide an edge to #IndianArmy in meeting future security challenges.#AtmaNirbharBharat #IndianArmy #InStrideWithTheFuture pic.twitter.com/Ly4A9BieAV
— ADG PI – INDIAN ARMY (@adgpi) August 26, 2022
भारतीय सेना ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और रक्षा मंत्रालय के सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के साथ मिलकर प्रौद्योगिकी से जुड़ी पहलों की एक लंबी श्रृंखला शुरू की है। ऐसी ही एक परियोजना है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ऑफेंसिव ड्रोन ऑपरेशंस, जिसे एक भारतीय स्टार्ट-अप के साथ मिलकर चलाया जा रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य देश को हथियारों के लिए अपने प्लेटफॉर्म तैयार करने में आत्मनिर्भर बनाना है।
स्वॉर्म ड्रोन के जरिए निगरानी रखी जा सकती है, साथ ही दुश्मन पर हमला भी किया जा सकता है। इन्हें स्मार्ट ड्रोन भी कहा जाता है। ये ड्रोन तकनीक की मदद से आपस में भी बात कर सकते हैं। ये आपस में अपना-अपना टास्क भी बांट लेते हैं। जिस जगह सैनिकों की तैनाती नहीं हो सकती, ये उन जगहों की भी निगरानी कर सकते हैं। इन ड्रोन्स को कंट्रोल रूम से नियंत्रित किया जाता है, इसलिए सैनिकों को खोने का खतरा भी नहीं रहेगा।