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सुप्रीम कोर्ट का फैसला : प्रधानमंत्री सहित नेता प्रतिपक्ष और चीफ जस्टिस की समिति करेगी चुनाव आयुक्तों का चयन

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नई दिल्ली, 2 मार्च। सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति को लेकर चल रहे मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए इसके लिए समिति बनाने का आदेश दिया है। शीर्ष अदालत के आदेशानुसार प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और भारत के चीफ जस्टिस की समिति चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए सदस्यों का चयन करेगी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर नेता प्रतिपक्ष मौजूद नहीं हैं तो लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को निर्वाचन आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति संबंधी समिति में लिया जाएगा। इसी क्रम में निर्वाचन आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और भारत के प्रधान न्यायाधीश की समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी।

पांच जजों की संविधान पीठ ने सुनाया फैसला

जस्टिस केएम जोसेफ की अगुआई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस मामले पर गुरुवार को अपना फैसला सुनाया। इस पीठ में जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस ऋषिकेश रॉय और सीटी रविकुमार भी शामिल थे।

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सर्वसम्मत से दिए फैसले में चुनाव प्रक्रियाओं में निष्पक्षता सुनिश्चित करने पर जोर देते हुए कहा कि लोकतंत्र लोगों की इच्छा से जुड़ा है। कोर्ट ने कहा कि चुनाव निश्चित रूप से निष्पक्ष होने चाहिए। वहीं, जस्टिस अजय रस्तोगी ने अपने एक अलग फैसले में कहा कि चुनाव आयुक्तों को हटाने की प्रक्रिया मुख्य चुनाव आयुक्त के समान ही ‘महाभियोग’ की होगी।

इससे पहले पीठ ने पिछले साल 24 नवम्बर को इस मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने पिछली सुनवाई में पूर्व नौकरशाह अरुण गोयल को निर्वाचन आयुक्त नियुक्त करने में केंद्र द्वारा दिखाई गई ‘जल्दबाजी’ पर सवाल उठाते हुए कहा था कि उनकी फाइल 24 घंटे में विभागों से बिजली की गति से पास हो गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयुक्त और मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी व्यवस्था बनाने का अनुरोध करने वाली कई याचिकाओं पर यह अहम फैसला सुनाया है।

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