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सुप्रीम कोर्ट ने ईडी और सीबीआई से पूछा – मनीष सिसोदिया के खिलाफ सबूत कहां है?

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नई दिल्ली, 5 अक्टूबर। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली शराब नीति मामले की जांच कर रही केंद्रीय एजेंसियों से कड़े सवाल किए और उनसे जेल में बंद आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसौदिया के खिलाफ सबूत मांगे।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इस दौरान शीर्ष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से पूछा – “सबूत कहां है? अपराध की आय कहां है? कोर्ट ने एजेंसियों से कहा – आपको एक श्रृंखला स्थापित करनी होगी कि पैसा शराब लॉबी से व्यक्ति तक कैसे पहुंचा है।

कोर्ट की टिप्पणी – शराब लॉबी की बातचीत में सिसोदिया शामिल नहीं लगते

सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि मनीष सिसोदिया ‘साउथ ग्रुप’ या शराब लॉबी की बातचीत में शामिल नहीं दिखे, आश्चर्य है कि एजेंसियों ने उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपित कैसे बना दिया। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘मनीष सिसोदिया इसमें शामिल नहीं लगते। विजय नायर तो हैं, लेकिन मनीष सिसोदिया नहीं। आप उन्हें मनी-लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत कैसे लाएंगे? पैसा उनके पास नहीं जा रहा है।’

जांच एजेंसियों की दलील – सिसोदिया अपराध की आय से जुड़ी प्रक्रिया में शामिल हैं

जांच एजेंसियों की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने दलील दी कि सिसोदिया एक ऐसी प्रक्रिया या गतिविधि में शामिल हैं, जो अपराध की आय से जुड़ी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अपराध की आय दिए जाने या भुगतान किए जाने के बाद लागू किया जाएगा। आपको संबंधित व्यक्ति को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपराधों की आय से जोड़ना होगा।

प्रवर्तन निदेशालय ने जोर देकर कहा कि वह शराब नीति मामले में किसी भी दोषी पक्ष को न्याय के दायरे में लाने के लिए प्रतिबद्ध है। बुधवार को, इसने AAP सांसद संजय सिंह को गिरफ्तार कर लिया और उन पर आरोपित से सरकारी गवाह बने दिनेश अरोड़ा से रिश्वत में करोड़ों रुपये प्राप्त करने का आरोप लगाया।

विवादास्पद दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति की ओर मुड़ते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि क्या किसी नीतिगत निर्णय को प्रस्तुत तरीके से कानूनी रूप से चुनौती दी जा सकती है। सीबीआई ने तर्क दिया कि नीति जान बूझकर विशिष्ट व्यक्तियों के पक्ष में तैयार की गई थी और सबूत के तौर पर ह्वाट्सएप संदेशों को प्रस्तुत किया गया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इन संदेशों की स्वीकार्यता पर आपत्ति व्यक्त की।

ईडी ने आगे दावा किया कि उत्पाद शुल्क नीति मामले में आरोपितों ने सिग्नल एप के माध्यम से संचार किया था, जिसका पता नहीं लगाया जा सकता है, जिससे जांच में जटिलता की परत जुड़ गई है। ईडी ने दावा किया है कि ‘आप’ ने 2022 के गोवा विधानसभा चुनावों में अपने अभियान के लिए विभिन्न हितधारकों से रिश्वत के रूप में प्राप्त 100 करोड़ रुपये का इस्तेमाल किया।

सिसोदिया 26 फरवरी से सलाखों के पीछे हैं

मनीष सिसोदिया को कथित घोटाले में उनकी कथित भूमिका के लिए इस वर्ष 26 फरवरी को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था, तभी से वह जेल में हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तिहाड़ जेल में उनसे पूछताछ के बाद नौ मार्च को सीबीआई की एफआईआर से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।