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पाकिस्तान सीमा के पास सुखोई 30-MKI लड़ाकू विमान तैनात, वायुसेना ने सेवा से हटाया मिग-21

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नई दिल्ली, 1 नवम्बर। भारतीय वायुसेना (आईएएफ) ने राजस्थान के एयरबेस उत्तरलाई (बाड़मेर) पर पाकिस्तान सीमा के पास अब सुखोई 30-MKI लड़ाकू विमान तैनात कर दिए हैं। आईएएफ के ‘ओरियल्स’ के रूप में जाने जाने वाले नंबर 4 स्क्वाड्रन बेस पर पहले मिग 21 विमान तैनात थे, जिन्हें अब सुनियोजित ढंग से सेवा से हटाया जा रहा है।

सुखोई 30-MKI से सुपरसोनिक ब्रह्मेस भी दागी जा सकती है

इस अग्रिम वायु सेना स्टेशन पर सुखोई 30-MKI को तैनात करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां से पाकिस्तान की सीमा बेहद नजदीक है। सुखोई 30-MKI भारत के सबसे उन्नत विमानों में से हैं और इनसे परमाणु हमले में सक्षम मिसाइल और सुपरसोनिक ब्रह्मेस भी दागी जा सकती है।

मिग-21 का इस एयरबेस पर 1966 से संचालन किया जा रहा था

इस एयरबेस पर 1966 से मिग-21 का संचालन किया जा रहा था। मिग-21 भारतीय वायुसेना की सेवा में पहला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान था और इसे 1963 में शामिल किया गया था और तब से इसने सभी प्रमुख संघर्षों में भाग लिया है। हालांकि समय के साथ ये विमान पुराने पड़ते जा रहे थे और कई बार अपग्रेड करने के बाद भी अन्य विमानों से पीछे होते जा रहे थे।

2025 तक मिग-21 लड़ाकू विमानों की उड़ानों पर पूरी तरह रोक लगा दी जाएगी

साथ ही मिग विमानों के दुर्घटनाग्रस्त होने का भी एक काला इतिहास है, जिसमें सैकड़ों पायलटों ने अपनी जान गंवाई है। यही कारण है कि 2025 तक मिग-21 लड़ाकू विमानों की उड़ानों पर पूरी तरह रोक लगा दी जाएगी। मिग-21 लड़ाकू विमानों की जगह भारत के स्वदेशी विमान तेजस लेंगे। 2025 तक मिग-21 के स्कवाड्रन को  एलसीए मार्क 1ए से बदल दिया जाएगा।

अपने लड़ाकू विमानों के बेड़े को व्यापक व घातक बनाने में भी जुटी है भारतीय वायुसेना

सैन्य रणनीतिकारों का मानना है कि भविष्य में भारत को दोहरे मोर्चे पर सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि वायुसेना के पास आधुनिक तकनीक से लैस लड़ाकू विमानों का बड़ा बेड़ा हो। यही कारण है कि भारतीय वायुसेना अपने लड़ाकू विमानों के बेड़े को बड़ा और घातक बनाने में भी जुटी है।

83 LCA मार्क-1A एयरक्राफ्ट का पहले ही ऑर्डर दे चुकी है वायुसेना

वायुसेना पहले ही 83 LCA मार्क-1A एयरक्राफ्ट का ऑर्डर दे चुकी है। LCA मार्क-1A तेजस विमान का एडवांस वर्जन है। इस फाइटर प्लेन में अपग्रेडेड एवियोनिक्स और रडार सिस्टम लगे हुए हैं। आने वाले समय में भारतीय वायुसेना के पास तेजस विमानों की एक बड़ी स्कवाड्रन होगी। यदि सब कुछ योजना अनुसार चला तो अगले 15 वर्षों में भारतीय वायुसेना के पास 40 एलसीए, 180 से ज्यादा एलसीए मार्क-1A और 120 एलसीए मार्क-2 फाइटर प्लेन होंगे। वायुसेना ने पहले जिन 83 LCA मार्क-1A का आॉर्डर दिया था, उनकी डेलिवरी साल 2024 में हो सकती है।

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