नई दिल्ली, 27 जुलाई। भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लोकर ऐसे में कांग्रेस शासनकाल में वित्त मंत्री रहे पी. चिदंबरम पर निशाना साधा। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, “पीएमएलए पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पीसी, बीसी आदि के लिए ‘चिकन खुद घर फ्राई होने आ गया’ वाला मामला है। ईडी को यूपीए के कार्यकाल के दौरान पीसी द्वारा अधिकार दिया गया था।”
SC judgment on PMLA is a case of “Chickens coming home to roost” for PC, BC, etc..The ED was empowered by PC during UPA tenure.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) July 27, 2022
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के कुछ प्रावधानों की वैधता को बरकरार रखते हुए बुधवार को कहा कि हर मामले में ईसीआईआर (प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट) अनिवार्य नहीं। कोर्ट ने धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों पर कहा कि अगर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) गिरफ्तारी के समय इसके आधार का खुलासा करता है, तो यह पर्याप्त है।
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) ईडी का एक आंतरिक दस्तावेज है। आरोपित को ईसीआईआर की कॉपी देना अनिवार्य नहीं है। गिरफ्तारी के दौरान आरोपित को केवल यह बता देना काफी है कि उसे किन आरोपों के तहत गिरफ्तार किया जा रहा है।
गौरतलब है कि पीएमएलए के कई प्रावधानों को याचिकाकर्ताओं ने असंवैधानिक बताते हुए कोर्ट में इसे चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि गिरफ्तारी के आधार या सबूत के बिना आरोपित को गिरफ्तार करने की अनियंत्रित शक्ति असंवैधानिक है।
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले पीएमएलए के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। पीएमएलए के खिलाफ याचिका डालने वालों में में कार्ति चिदंबरम और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती सहित अन्य कुछ लोग शामिल हैं।
पीएमएलए के तहत ईडी ने 17 वर्षों में लगभग 5,422 मामले दर्ज किए
संसद के मॉनसून सत्र के दौरान केंद्र सरकार ने दो दिन पहले लोकसभा में जानकारी दी थी कि कानून लागू होने के बाद पिछले करीब 17 वर्षों में प्रवर्तन निदेशालय ने पीएमएलए के तहत लगभग 5,422 मामले दर्ज किए। मामले दर्ज होने के बाद पीएमएलए के प्रावधानों के तहत करीब 1,04,702 करोड़ रुपए की सम्पत्ति कुर्क की गई। 992 मामलों में अभियोग शिकायत दर्ज की गई, जिसके परिणामस्वरूप 869.31 करोड़ रुपये की जब्ती की गई और 23 अभियुक्तों को दोषी करार दिया गया।