मुंबई, 28 नवम्बर। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महा विकास अघाड़ी (MVA) की करारी हार के बाद घटक दलों ने एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ा शुरू कर दिया है। इस क्रम में शिवसेना (UBT) के वरिष्ठ नेता अंबादास दानवे ने गुरुवार को कांग्रेस के ‘अति आत्मविश्वासी रवैये’ के लिए आलोचना की और कहा कि इसका एमवीए की संभावनाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
ठाकरे के चेहरे पर चुनाव लड़ा गया होता तो परिणाम कुछ और होता
महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता दानवे ने मीडिया से बातचीत में कहा कि यदि एमवीए की तरफ से उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया होता तो चुनाव नतीजे कुछ और होते। उन्होंने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘वे नतीजों से पहले ही सूट-टाई पहनकर तैयार हो रहे थे।’
नतीजों से पहले ही वे सूट-टाई पहनकर तैयार हो रहे थे
अंबादास दानवे ने कहा, ‘लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस हरियाणा और जम्मू-कश्मीर की तरह महाराष्ट्र में भी अति आत्मविश्वास में थी। यह नतीजों में भी दिखाई दिया। सीट बंटवारे पर बातचीत के दौरान उसके रवैये ने हमें नुकसान पहुंचाया। उद्धव जी को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया जाना चाहिए था। ऐसा न करने से हमारी संभावनाओं को नुकसान पहुंचा। यदि ऐसा किया जाता तो नतीजे कुछ और होते।’
अब सभी 288 सीटों पर ध्यान केंद्रित करेगी शिवसेना (यूबीटी)
किसी पार्टी का नाम लिए बगैर दानवे ने यह भी कहा कि शिवसेना (यूबीटी) के कुछ उम्मीदवारों ने संगठनात्मक ढांचे से संबंधित मुद्दों की ओर ध्यान दिलाया है। शिवसेना (यूबीटी) महाराष्ट्र में अब सभी 288 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए खुद को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करेगी।
एमवीए गठबंधन को लेकर पार्टी के भीतर असंतोष पर टिप्पणी करते हुए अंबादास दानवे ने माना कि कार्यकर्ताओं का एक वर्ग महसूस करता है कि पार्टी को भविष्य के चुनाव अकेले ही लड़ने चाहिए। दानवे ने कहा, ‘पार्टी के एक बड़े वर्ग में स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने की भावना है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि शिवसेना (यूबीटी) सत्ता में आती है या नहीं। पार्टी सत्ता हथियाने के लिए पैदा नहीं हुई है। यह एक विचारधारा पर काम करने वाली पार्टी है।’
एमवीए में दरार पड़ने की आशंका
इस बीच मीडिया रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र में एमवीए में दरार पड़ने की आशंका बलवती हो उठी है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) के भीतर से कांग्रेस से अलग होने और अकेले चुनाव लड़ने की सुगबुगाहट बढ़ रही है। अंग्रेजी दैनिक इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में हुई बैठक में शिवसेना (यूबीटी) के 20 नवनिर्वाचित विधायकों में से अधिकतर ने कथित तौर पर एमवीए से अलग होने के लिए दबाव डाला।
सूत्रों का कहना है कि एकनाथ शिंदे की शिवसेना के शानदार प्रदर्शन से शिवसेना (यूबीटी) के जमीनी कार्यकर्ता सवाल उठा रहे हैं कि एमवीए गठबंधन कितना प्रभावी रहा है। हालांकि, सूत्रों ने कहा कि उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे और राज्यसभा सांसद संजय राउत भाजपा के खिलाफ एकजुट विपक्ष पेश करने के लिए गठबंधन को बरकरार रखने के लिए दृढ़ हैं।
सभी को विचार व्यक्त करने का अधिकार – नाना पटोले
वहीं, दानवे के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि हर किसी को अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है। उधर, वरिष्ठ कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने स्वीकार किया कि कांग्रेस के नेता भी अकेले चुनाव लड़ने के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा, ‘लेकिन यह पार्टी का फैसला नहीं हो सकता। हम नतीजों और हार के कारणों का विश्लेषण करने की प्रक्रिया में हैं।’