नई दिल्ली, 22 मई। कोरोनारोधी वैक्सीन कोविशील्ड की निर्माता कम्पनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (सीआईआई) ने देशभर में कोरोनारोधी वैक्सीन की कमी के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए आरोप लगाया है कि उसने वैक्सीन की उपलब्धता जांचने की जरूरत नहीं समझी और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की गाइडलाइंस देखे बिना सबके लिए वैक्सिनेशन की अनुमति दे दी।
गौरतलब है कि कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहे देश के ज्यादातर हिस्सों में वैक्सीन की अत्यधिक कमी महसूस की जा रही है। इसी कारण 18 से 44 वर्ष आयु वर्ग के लोगों को वैक्सीन नहीं मिल पा रही है। कुछ जगहों पर तो 45 वर्ष से ज्यादा आयु वर्ग के लोग भी वैक्सीन का इंतजार कर रहे हैं।
एसआईआई के कार्यकारी निदेशक सुरेश जाधव ने आरोप लगाया, ‘सरकार ने कई आयु वर्ग के लोगों के वैक्सिनेशन की इजाजत दे दी। उसने यह आकलन नहीं किया कि देश में वैक्सीन की उपलब्धता कितनी है और फिर इसे लेकर डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइंस क्या हैं।’
- सरकार ने निर्धारित लक्ष्य से पहले ही 18+ के टीकाकरण की अनुमति दे दी
सुरेश जाधव ने स्वास्थ्य से संबंधित आयोजित एक ई-सम्मलेन के दौरान कहा कि देश को डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइंस का पालन करना चाहिए और वैक्सीन की प्राथमिकता उस हिसाब से तय होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘पूर्व निर्धारित लक्ष्य के मुताबिक 30 करोड़ लोगों को टीका दिया जाना था, जिसके लिए 60 करोड़ डोज की आवश्यकता थी। लेकिन हमारे इस लक्ष्य तक पहुंचने से पहले ही सरकार ने पहले 45 वर्ष से ऊपर के और फिर 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिए वैक्सिनेशन की अनुमति दे दी।’
ज्ञातव्य है कि पुणे की कम्पनी एसआईआई में ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका की कोरोनारोधी वैक्सीन कोविशील्ड का उत्पादन हो रहा है। एसआईआई के सीईओ अदार पूनावाला ने बीते दिनों लंदन में कहा था कि उनकी कम्पनी वैक्सीन की अपेक्षित मांग पूरा नहीं कर पा रही है और विदेशों में इसके उत्पादन की योजना बना रही है। उन्होंने यह भी कहा था कि जुलाई से सीरम इंस्टीट्यूट हर महीने कोविशील्ड की 10 करोड़ डोज बनाएगी।
- पिछले 40 दिनों में आधे से भी कम रह गया टीकाकरण
चिंताजनक बात यह है कि पिछले 40 दिनों में देश में टीकाकरण की दर घट कर आधी से भी कम रह गई है। आंकड़ों के अनुसार अप्रैल में जब कोरोना वायरस उफान पर था तो वैक्सीनेशन में तेजी आई थी और गत 10 अप्रैल को दिनभर में 36,59,356 लोगों को वैक्सीन की डोज लगाई गई थी। लेकिन इसके बाद टीकाकरण की रफ्तार लगातार घटने लगी। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 21 मई को वैक्सीन की 14,58,895 डोज लगाई गई।
ज्ञातव्य है कि गत एक मई से 18-44 वर्ष आयु वर्ग के लिए कोरोना वैक्सिनेशन का तीसरा चरण शुरू हुआ था। लेकिन वैक्सीन की कमी की यह हालत है कि राष्ट्रीय राजधानी में ही एक सप्ताह के भीतर 235 वैक्सिनेशन सेंटर बंद किए जा चुके हैं।