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RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा – ‘जो सबके लिए समान है, वही धर्म है, वही मानवता है, वही सनातन धर्म है’

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माजुली (असम), 29 दिसम्बर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कि हमारा देश एक है और यह जरूरी है कि हमारा समाज एक साथ मिलकर अपनी समस्याओं का समाधान निकाले। असम में माजुली के उत्तरी कमला बारी सत्र में गुरुवार को आयोजित ‘पूर्वोत्तर संत मणिकंचन सम्मेलन – 2023’ को संबोधित करते हुए आरएसएस प्रमुख ने कहा, “हमारा देश एक है। यहां विभिन्न समुदाय हैं। लेकिन जिसे हम ‘धर्म’ कहते हैं, वह सभी के लिए समान है। यह मानवता है, यह ‘सनातन धर्म’ है।”

‘समाज की एकजुटता से ही हम अपनी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं

मोहन भागवत ने आगे कहा, “यह आवश्यक है कि हमारा समाज एकजुट हो और एकजुट होकर ही हम अपनी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। भारत की ‘संस्कृति’, जिसे ‘एकम सत् विप्रा बहुधा वदन्ति’ (सत्य एक है लेकिन बुद्धिजीवियों द्वारा इसे अलग-अलग तरीके से परिभाषित किया जाता है) के माध्यम से प्रतिबिंबित होती है। यह सर्व-समावेशी परंपरा केवल भारत में मौजूद है।”

‘पूर्वोत्तर संत मणिकंचन सम्मेलन – 2023’ में असम के 48 सत्रों और पूरे पूर्वोत्तर राज्यों के 37 विभिन्न धार्मिक संस्थानों और संप्रदायों से जुड़े कुल 104 आध्यात्मिक नेता उपस्थित थे। भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोगों और इसमें सक्रिय विभिन्न संप्रदायों के मुद्दों पर चर्चा की गई।

इससे पहले हरिद्वार के श्री हरिहर आश्रम में ‘दिव्य आध्यात्मिक महोत्सव’ का उद्घाटन करने के बाद लोगों को संबोधित करते हुए आरएसएस प्रमुख ने कहा कि ‘सनातन’ ही शाश्वत है। उन्होंने कहा, ‘यह अटल सत्य है कि सनातन था, है और हमेशा रहेगा। हमारे पास जो बचा है, दरअसल वही सनातन है।’

भारतीय परंपराओं में सभी संप्रदायव्यक्ति को शुद्धकरते हैं

आरएसएस प्रमुख ने कहा, “भारतीय परंपराओं में सभी ‘संप्रदाय’ व्यक्ति को ‘शुद्ध’ करते हैं। भारत में सभी संप्रदाय एक चीज की ओर ले जाते हैं, वे आपको शुद्ध करते हैं। हमें उन तक पहुंचना होगा। ऐसे बहुत से हिन्दू हैं, जिन तक हम अभी तक नहीं पहुंच पाए हैं। हमारा कोई आंदोलन नहीं होगा।”

‘हमारा समूह पूरे हिन्दू समाज को संगठित और विस्तारित करेगा

मोहन भागवत ने कहा, ‘हम ऐसा समूह नहीं हैं, जो हिन्दू समाज में बहुत शक्तिशाली है, लेकिन बावजूद उसके हमारा समूह पूरे हिन्दू समाज को संगठित और विस्तारित करेगा। हमें हर जगह जाना होगा और सभी तक पहुंचना होगा। कुछ चीजों पर कोई सहमत हो सकता है और कुछ पर असहमत हो सकता है। लेकिन हमें सभी को जोड़ना होगा।’

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