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पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को राहत, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत

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नई दिल्ली, 13 दिसंबर। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ‘नौकरी के लिए नकदी’ घोटाले से संबंधित धन शोधन मामले में पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी को सशर्त अग्रिम जमानत दे दी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि चटर्जी को एक फरवरी 2025 को रिहा किया जाएगा, बशर्ते कि निचली अदालत शीतकालीन अवकाश से पहले आरोप तय करे और जनवरी 2025 के दूसरे और तीसरे सप्ताह तक गवाहों से पूछताछ कर ली जाए।

शीर्ष अदालत ने कहा कि रिहाई के बाद चटर्जी कोई सार्वजनिक पद नहीं संभालेंगे, लेकिन विधायक के रूप में काम कर सकते हैं। पीठ ने कहा कि किसी संदिग्ध को अनिश्चित काल तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता, इसलिए उसे आरोपी और पीड़ितों के अधिकारों में संतुलन बनाना होगा। शीर्ष अदालत ने चार दिसंबर को चटर्जी की जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और कहा था, ‘‘पहली नजर में आप भ्रष्ट व्यक्ति प्रतीत होते हैं। आपके परिसरों से करोड़ों रुपये बरामद हुए हैं।’’

शीर्ष अदालत ने अक्टूबर में चटर्जी द्वारा 30 अप्रैल के कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को नोटिस जारी किया था, जिसमें उन्हें इस आधार पर जमानत देने से इनकार कर दिया गया था कि उनके खिलाफ धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत प्रथम दृष्टया मामला बनता है।

चटर्जी को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रायोजित और सहायता प्राप्त प्राथमिक विद्यालयों में शैक्षणिक एवं गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों की भर्ती में कथित अनियमितताओं के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। नेता और उनकी कथित करीबी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी को ईडी ने कथित अवैध भर्तियों में धन के लेन-देन की जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया था। ईडी ने दावा किया है कि उसने मुखर्जी के कई फ्लैट से 49.80 करोड़ रुपये नकद, आभूषण, सोने की छड़ें, संयुक्त स्वामित्व वाली संपत्ति और एक कंपनी के दस्तावेज बरामद किए हैं।

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