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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पद्म सम्मान को लुटियंस दिल्ली से बाहर निकाला

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लोकतंत्र और संविधान पर भाषण तो बहुत लोगो ने दिया लेकिन वास्तव में सत्ता का विकेंद्रीकरण देखना है तो पद्म सम्मान का विश्लेषण करना चाहिए। मोदी जी ने पद्म सम्मान को लुटियंस दिल्ली से बाहर निकाला।परिक्रमा के कु-चक्र से पराक्रम आधारित व्यवस्था स्वागतयोग्य है।

ऐसे ही पराक्रमी विभूति संबलपुर, उड़ीसा के कोसिली (लगभग मृतप्राय भाषा) के कवि पद्मश्री हलधार नाग जी से एक सुखद संवाद का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

कवि और साहित्यकार तो बहुत है लेकिन हलधार नाग जी की यात्रा विशेष है। उनकी रचनाओं में आध्यात्मिकता भी है और सामाजिक भेदभाव के विरोध में एक बुलंद स्वर भी है। स्कूल के बाहर नमकीन बेचकर भी नाग जी ने अपने अंदर की रचनात्मकता को जीवित ही नहीं सशक्त रखा।

बातचीत में उन्होंने “अमृत धरु” कविता की व्याख्या कर एक ऐसा आशीर्वाद दिया जो आजीवन मेरे साथ रहेगा।