नई दिल्ली, 26 सितम्बर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने नियमित रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 81वें संस्करण के जरिए देशवासियों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने नदियों के शुद्धीकरण से लेकर दीनदयाल जयंती और स्वच्छता अभियान तक का जिक्र किया।
अपनी अमेरिका यात्रा से पहले ही रिकॉर्डेड इस रेडियो कार्यक्रम की शुरुआत में ‘वर्ल्ड रिवर डे’ यानी ‘विश्व नदी दिवस’ का उल्लेख करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘ नदियों का स्मरण करने की परंपरा आज भले लुप्त हो गई हो या कहीं बहुत अल्पमात्रा में बची हो, लेकिन ये एक बहुत बड़ी परंपरा थी। सुबह स्नान करते समय ही विशाल भारत की एक यात्रा करा देती थी। देश के कोने-कोने से जुड़ने की प्रेरणा बन जाती थी।’
नदियों के प्रति स्मरण भाव एक संस्कार प्रक्रिया
पीएम मोदी ने कहा कि भारत में स्नान करते समय एक श्लोक बोलने की परंपरा रही है – गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति, नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिं कुरु। पहले हमारे घरों में परिवार के बड़े ये श्लोक बच्चों को याद करवाते थे और इससे हमारे देश में नदियों को लेकर आस्था भी पैदा होती थी। विशाल भारत का एक मानचित्र मन में अंकित हो जाता था। नदियों के प्रति जुड़ाव बनता था। जिस नदी को मां के रूप में हम जानते हैं, देखते हैं, जीते हैं, उस नदी के प्रति एक आस्था का भाव पैदा होता था। एक संस्कार प्रक्रिया थी।’
नमामि गंगे की सफलता में जन-जन का योगदान
नदियों की महिमा का बखान करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘जब हम हमारे देश में नदियों की महिमा पर बात कर रहे हैं, तो स्वाभाविक रूप से हर कोई एक प्रश्न उठाएगा और प्रश्न उठाने का हक भी है और इसका जवाब देना ये हमारी जिम्मेदारी भी है। पानी की सफाई और नदियों को प्रदूषण मुक्त करने का काम सबके प्रयास से संभव है। नमामि गंगे की सफलता में जन-जन का योगदान है। उन्होंने कहा कि आज इतने दशकों बाद, स्वच्छता आंदोलन ने एक बार फिर देश को नए भारत के सपने के साथ जोड़ने का काम किया है। ये हमारी आदतों को बदलने का भी अभियान बन रहा है।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन से प्रेरणा ले युवा पीढ़ी
पंडित दीनदयाल उपाध्याय को उनकी 105वीं जयंती पर याद करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘25 सितम्बर को देश की महान संतान पं. दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्म जयंती होती है। दीनदयाल जी पिछली सदी के सबसे बड़े विचारकों में से एक हैं। उनका अर्थ-दर्शन, समाज को सशक्त करने के लिए उनकी नीतियां, उनका दिखाया अंत्योदय का मार्ग, आज भी जितना प्रासंगिक है, उतना ही प्रेरणादायी भी है।’
पीएम मोदी ने कहा, ‘आज बहुत सारे युवा बने-बनाए रास्तों से अलग होकर आगे बढ़ना चाहते हैं। वे चीजों को अपनी तरह से करना चाहते हैं। दीनदयाल जी के जीवन से उन्हें काफी मदद मिल सकती है। इसलिए युवाओं से मेरा अनुरोध है कि वे उनके बारे में जरूर जानें।’ प्रधानमंत्री ने शिक्षाविद, प्रसिद्ध दार्शनिक, समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी ईश्वर चंद्र विद्यासागर को भी उनकी जयंती पर याद किया।