नई दिल्ली, 21 जुलाई। संसद के मॉनसून सत्र से ठीक पहले उभरा पेगासस फोन टैपिंग विवाद इतनी आसानी से थमता प्रतीत नहीं हो रहा है। सरकारी सूत्रों पर भरोसा करें तो कांग्रेस नेता शशि थरूर के नेतृत्व वाली सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) विभाग से जुड़ी संसदीय समिति फोन टैपिंग आरोपों पर अगले सप्ताह गृह मंत्रालय सहित अन्य सरकारी अधिकारियों से पूछताछ कर सकती है।
आईटी विभाग से जुड़ी संसदीय समिति की होगी बैठक
लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार थरूर की अध्यक्षता वाली सूचना प्रौद्योगिकी विभाग से जुड़ी संसदीय समिति की बैठक 28 जुलाई को निर्धारित है। इस बैठक का एजेंडा ‘नागरिक डाटा सुरक्षा एवं निजता’ है।
इस समिति में अधिकतर सदस्य सत्तारूढ़ भाजपा से हैं। समिति ने इलेक्ट्रानिक्स, सूचना प्रौद्योगिकी एवं गृह मंत्रालय के अधिकारियों को बुलाया है। सूत्रों ने बुधवार को बताया कि बैठक में पेगासस फोन टैपिंग मामला निश्चित रूप से सामने आएगा और अधिकारियों से जानकारी मांगी जाएगी।
गौरतलब है कि मीडिया संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय कंसोर्टियम ने दावा किया है कि आमतौर पर सरकारी एजेंसियों को ही बेचे जाने वाले इजरायल के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस के जरिए भारत के दो केंद्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित विपक्ष के तीन नेताओं और एक न्यायाधीश सहित बड़ी संख्या में कारोबारियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से अधिक मोबाइल नंबर हैक किए गए थे।
केंद्र सरकार हालांकि अपने स्तर पर खास लोगों पर निगरानी रखने संबंधी आरोपों को खारिज कर चुकी है। इजराइली निगरानी कम्पनी एनएसओ समूह ने भी इन खबरों को आधारहीन बताया है।
थरूर सरकार से पहले ही मांग चुके हैं स्पष्टीकरण
इससे पहले थरूर ने पूरे कथित जासूसी प्रकरण को राष्ट्रीय सुरक्षा चिंता बताया था और सरकार से स्पष्टीकरण मांगा था। हालांकि सूचना प्रौद्योगिकी और संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इन खबरों को सिरे से खारिज करते हुए सोमवार को कहा था कि संसद के मॉनसून सत्र से ठीक पहले लगाये गए ये आरोप भारतीय लोकतंत्र की छवि को धूमिल करने का प्रयास हैं।
लोकसभा में स्वत: संज्ञान के आधार पर दिए गए अपने बयान में वैष्णव ने कहा था कि जब देश में नियंत्रण एवं निगरानी की व्यवस्था पहले से है, तब अनाधिकृत व्यक्ति द्वारा अवैध तरीके से निगरानी संभव नहीं है।