नई दिल्ली, 11 अगस्त। संसद के मॉनसून सत्र में लगातार दूसरे दिन बुधवार को बहिष्कार शब्द नहीं सुनाई पड़ा और राज्यों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण की सूची तैयार करने का अधिकार देने वाला संविधान (127वां) संशोधन विधेयक लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी आसानी के साथ पारित कर दिया गया। लोकसभा ने मंगलवार को दो-तिहाई बहुमत से इस विधेयक को पास किया था।
मत विभाजन के दौरान पक्ष में 187 वोट पड़े
उच्च सदन में बिल पर दिनभर चर्चा हुई और कांग्रेस, आरजेडी, एनसीपी समेत अन्य सभी विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर अपने-अपने अंदाज में कटाक्ष करते हुए इसका समर्थन भी किया। अंततः शाम छह बजे मत विभाजन कराया गया। इस बिल को पूरे विपक्ष का साथ मिला और इसके पक्ष में 187 वोट पड़े।
सभी दल ओबीसी आरक्षण की 50% सीमा हटाए जाने के पक्षधर
हालांकि, ज्यादातर विपक्षी दलों ने चर्चा के दौरान कहा कि जब तक 50 फीसदी आरक्षण की सीमा का समाधान नहीं निकाला जाता, तब तक इस बिल का कोई लाभ नहीं मिल पाएगा। इसके अलावा कई दलों ने जातीय जनगणना कराए जाने की मांग भी सदन में रखी।
50% आरक्षण की सीमा पर विचार होना चाहिए – केंद्रीय मंत्री
विपक्ष के सांसदों के विचार आने के बाद केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार ने अपना जवाब सदन के सामने रखा। उन्होंने कहा 50 फीसदी कैप, जातिगत जनगणना और क्रीमीलेयर के बिंदु उठाए गए। वीरेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार 50 फीसदी आरक्षण की सीमा पर विचार होना चाहिए। यह सीमा 30 साल पहले लगाई गई थी। साथ ही उन्होंने कहा कि 2011 में जनगणना हुई थी, जो आंकड़े आए वो बहुत जटिलता से भरे हुए थे।