मुंबई, 15 अगस्त। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि टेक्नोलॉजी से जुड़े सामानों के लिए चीन पर निर्भरता बढ़ती जाएगी तो हमें उसके सामने झुकना पड़ेगा। रविवार को यहां एक स्कूल में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद भागवत ने भारतीय अर्थव्यवस्था और स्वदेशी की चर्चा करते हुए ये बातें कहीं।
स्वदेशी का मतलब अपनी शर्तों पर कारोबार
मोहन भागवत ने कहा, ‘स्वतंत्र देश में स्वनिर्भरता जरूरी है। जितना स्वनिर्भर रहेंगे, उतना ही सुरक्षित रहेंगे। आर्थिक सुरक्षा पर अन्य सारी सुरक्षाएं निर्भर हैं। हम चीन के बहिष्कार की बात तो कर सकते हैं, लेकिन मोबाइल की ये सारी चीजें कहां से आती हैं? अगर चीन पर निर्भरता बढ़ेगी तो फिर हमें उसके सामने झुकना पड़ेगा। स्वदेशी का अर्थ यह नहीं कि सबसे नाता तोड़ लो, बल्कि अपनी शर्तों पर व्यापार करने की बात है। स्वनिर्भरता से रोजगार पैदा होगा और इससे हिंसा की घटनाएं रुकेंगी।’
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का दोहन न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए एक ‘नियंत्रित उपभोक्तावाद’ आवश्यक है। विकेंद्रीकृत उत्पादन से भारतीय अर्थव्यवस्था को रोजगार एवं स्वरोजगार के अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी।
खुश रहने के लिए बेहतर आर्थिक स्थिति की जरूरत
भागवत ने कहा, ‘जीवन स्तर इस बात से तय नहीं होना चाहिए कि हम कितना कमाते हैं, बल्कि इस बात से तय होना चाहिए कि हम लोगों के कल्याण के लिए कितना वापस देते हैं। हम खुश होंगे, जब हम सबके कल्याण पर विचार करेंगे। खुश रहने के लिए हमें बेहतर आर्थिक स्थिति की जरूरत होती है और इसके लिए हमें वित्तीय मजबूती की आवश्यकता होती है।’
उन्होंने कहा कि सरकार का काम उद्योगों को सहायता एवं प्रोत्साहन देना है। सरकार को देश के विकास के लिए जो जरूरी है, उसका उत्पादन करने के निर्देश देने चाहिए। उत्पादन जन केंद्रित होना चाहिए। ध्यान शोध एवं विकास, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) और सहकारी क्षेत्रों पर केंद्रित होना चाहिए।