गुवाहाटी, 21 जुलाई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) या राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) से किसी मुसलमान को कोई दिक्कत नहीं होगी और ऐसे कानूनों का हिन्दू-मुस्लिम विभाजन से कोई लेना-देना नहीं है। असम के अपने दो दिवसीय दौरे में बुधवार को एक पुस्तक ‘Citizenship debate over NRC and CAA-Assam and the Politics of History’ के विमोचन के अवसर पर उन्होंने ये विचार व्यक्त किए।
आरएसएस प्रमुख भागवत ने कहा कि सीएए और एनआरसी का हिन्दू-मुस्लिम विभाजन और सांप्रदायिक आख्यान से कोई लेना-देना नहीं है बल्कि नागरिकता कानून नागरिकता कानून पड़ोसी देशों में उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करेगा। कुछ लोग राजनीतिक लाभ के लिए इन दो मुद्दों को उछाल रहे थे।
सीएए से किसी मुसलमान को कोई नुकसान नहीं
भागवत ने कहा, ‘आजादी के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री ने कहा था कि अल्पसंख्यकों का ख्याल रखा जाएगा और अब तक यही किया गया है। हम ऐसा करना जारी रखेंगे। सीएए से किसी मुसलमान को कोई नुकसान नहीं होगा।’
उन्होंने कहा, ‘हम आपदा के दौरान इन देशों में बहुसंख्यक समुदायों तक भी पहुंचते हैं। इसलिए अगर कुछ ऐसे हैं, जो खतरों और डर के कारण हमारे देश में आना चाहते हैं तो हमें निश्चित रूप से उनकी मदद करनी होगी।’
सभी देशों को अपने नागरिकों के बारे में जानने का अधिकार
एनआरसी के बारे में भागवत ने कहा कि सभी देशों को यह जानने का अधिकार है कि उसके नागरिक कौन हैं। उन्होंने कहा, ‘मामला राजनीतिक क्षेत्र में है क्योंकि सरकार इसमें शामिल है। लोगों का एक वर्ग इन दो मुद्दों के इर्द-गिर्द एक सांप्रदायिक कहानी बनाकर राजनीतिक लाभ लेना चाहता है।’
इसके पूर्व गत पांच जून को गाजियाबाद में आरएसएस प्रमुख भागवत ने एक कार्यक्रम में कहा था कि सभी भारतीयों का डीएनए एक है और मुसलमानों को डर के इस चक्र में नहीं फंसना चाहिए कि भारत में इस्लाम खतरे में है। उन्होंने यह भी कहा था कि जो लोग मुसलमानों से देश छोड़ने को कहते हैं, वे खुद को हिन्दू नहीं कह सकते।