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मुख्तार अंसारी की मौत का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, याचिका दायर कर CBI जांच की मांग

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नई दिल्ली, 1 अप्रैल। यूपी के गैंगस्टर-राजनेता मुख्तार अंसारी की बांदा जेल में तबीयत खराब होने के बाद अस्पताल में हुई मौत का मामला गरमाया हुआ है। अब इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक अंतरिम आवेदन दायर किया गया है। इसमें 2017 से उत्तर प्रदेश में पुलिस हिरासत में बंदियों की मौतों, हत्याओं और मुठभेड़ों का मुद्दा उठाया गया है। साथ ही यह मांग की गई है कि शीर्ष अदालत को ऐसे मामलों की सीबीआई जांच शुरू करने का निर्देश देना चाहिए।

वकील विशाल तिवारी ने रिट याचिका के हिस्से के रूप में यह आवेदन दायर किया, जिसमें राज्य में मुठभेड़ में हुई मौतों की जांच की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में 28 मार्च को मुख्तार अंसारी की मौत को लेकर संदेह जताया गया है।

आजीवन कारावास की सजा काट रहे मुख्तार अंसारी का एक अस्पताल में निधन हो गया था। पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में उसकी मौत का कारण कार्डियक अरेस्ट बताया गया है। लेकिन, अंसारी परिवार के सदस्य इससे सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि मुख्तार की मृत्यु जेल में धीमे जहर के कारण हुई होगी।

दरअसल, बीते सात वर्षों में उत्तर प्रदेश पुलिस की हिरासत में 10 गैंगस्टरों की मौत हो गई है। इनमें से सात की मौत गोलियों से तब हुई, जब उन्हें अदालत की सुनवाई या स्वास्थ्य जांच के लिए ले जाया जा रहा था। याचिका में इस तरह के आंकड़े वाली न्यूज रिपोर्ट का हवाला दिया गया है।

1996 से 2017 तक लगातार पांच बार विधायक

गौरतलब है कि मुख्तार अंसार पूर्वी उत्तर प्रदेश के मऊ से 1996 से 2017 तक लगातार पांच बार विधायक रहा। हत्या, अपहरण और रंगदारी वसूली समेत 60 से अधिक मुकदमे में वह आरोपित था। अंसारी की बीते 28 मार्च की रात मौत हो गई। आपराधिक मामलों में 2005 से ही वह लगातार देश की विभिन्न जेलों में बंद रहा। अंसारी मौत से पहले आखिरी तीन वर्ष बांदा जेल में रहा। वहीं तबीयत बिगड़ने पर उसे रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज बांदा में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई। मुख्तार अंसारी का शव कड़ी सुरक्षा के बीच शनिवार को गाजीपुर जिले में उसके पैतृक निवास युसूफपुर मोहम्मदाबाद के निकट कालीबाग स्थित कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया।