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महाराष्ट्र चुनाव प्रचार के बीच डिप्टी सीएम फडणवीस बोले – ‘फेक न्यूज के डायरेक्टर हैं शरद पवार’

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पुणे, 9 नवम्बर। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए जारी प्रचार के बीच उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मराठा क्षत्रप शरद पवार पर हमला करते हुए उन्हें ‘फेक न्यूज का डायरेक्टर’ करार दिया है। फडणवीस ने यह बात विपक्ष के उन आरोपों के संदर्भ में कही है, जिनमें राज्य का निवेश गुजरात की तरफ चले जाने के आरोप लगाए गए हैं।

सीनियर पवार के एक झूठ का जिक्र कर फडणवीस ने कुरेदे पुराने जख्म

फडणवीस ने चिंचवाड़ में पार्टी उम्मीदवार शंकर जगताप के समर्थन में आयोजित एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि महाराष्ट्र ने देश में हुए कुल निवेशों का 52 फीसदी हिस्सा हासिल किया है। उन्होंने निवेश में गुजरात को लेकर पक्षपात किए जाने की बात भी नकारी है। इन सबके बीच फडणवीस ने शरद पवार को ‘फेक न्यूज़ का डायरेक्टर’ कहकर एक पुराने ‘जख्म’ को फिर से हरा करने की कोशिश भी की है।

मुंबई बम धमाकों से जुड़ा है पवार का यह जख्म

दरअसल, महाराष्ट्र की राजनीति में ‘साहेब’ के नाम से मशहूर शरद पवार का यह ‘जख्म’ 1993 बॉम्बे ब्लास्ट धमाकों से जुड़ा हुआ है और इसे लेकर विपक्षी उन पर यदाकदा निशाना साधते रहे हैं। 1993 में 12 मार्च को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई एक के बाद एक 12 बम धमाकों से दहल गई थी। इसे मुंबई पर हुआ अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जाता है। इस हमले में 257 मासूम लोगों की मौत हुई थी और 1400 से ज्यादा घायल हुए थे।

मुंबई बम ब्लास्ट के समय सीएम थे शरद पवार

मुंबई बम ब्लास्ट के समय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शरद पवार थे। इन हमलों के बाद शरद पवार ने टीवी पर आकर कहा था कि धमाके 12 नहीं बल्कि 13 जगह हुए थे। पवार के इस बयान की वजह से कई वर्षों तक दिग्भ्रम की स्थिति बनी रही कि आखिर धमाके 12 जगह हुए थे या 13 जगह। दरअसल, जिन 12 जगहों पर बम धमाके हुए थे, वो सभी हिन्दू बहुल इलाके थे। शरद पवार ने इसमें एक मुस्लिम बहुल इलाके को भी एक सोची समझी रणनीति के तहत शामिल कराया।

12 के स्थान पर 13 जगहों पर बम धमाके का झूठ फैलाया

शरद पवार ने बाद में खुद स्वीकार किया था कि सिर्फ 12 जगहों पर ही धमाके हुए थे। उन्होंने यह भी स्वीकार किया था कि लोगों को गुमराह करने की कोशिश की गई थी। हालांकि इसके पीछे शरद पवार का तर्क था कि यदि वह एक मुस्लिम इलाका नहीं जोड़ते तो दंगे होने का खतरा था।

पवार का तर्क था – झूठ नहीं बोलते तो मुंबई में फिर दंगा शुरू हो जाता

गौरतलब है कि धमाकों से पहले मुंबई में भीषण दंगे हुए थे और इसी के बाद शरद पवार को केंद्र से राज्य में मुख्यमंत्री बनाकर भेजा गया था। पवार का तर्क रहा है कि अगर वह एक झूठ नहीं बोलते तो मुंबई में कत्ल-ए-आम का दूसरा दौर शुरू हो जाता। हालांकि विपक्षियों ने शरद पवार के इस तर्क को नहीं माना। इसके कारण भी हैं।

मुंबई ब्लास्ट में सुरक्षा एजेंसियों ने बताया था डी कम्पनी का हाथ

बम धमाकों के बीद सुरक्षा एजेंसियों ने साफ कर दिया था कि इसके पीछ दाऊद इब्राहिम यानी डी कम्पनी का हाथ है। लेकिन शरद पवार लोगों को यह भरोसा दिलाने की कोशिश करते रहे कि इसके पीछे श्रीलंकाई आतंकी संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल इलम (LTTE) का हाथ है। दरअसल पवार चाहते थे कि लोगों के दिमाग में यह बात न जाने पाए कि भीषण आतंकी धमाकों के पीछे किसी मुस्लिम संगठन का हाथ है।

अपने झूठ का लगातार बचाव करते रहे हैं सीनियर पवार

इतने वर्षों में विपक्षी नेताओं द्वारा लगातार निशाना बनाए जाने के बावजूद सीनियर पवार अपने ‘झूठ’ का बचाव करते रहे हैं। 2022 में महाराष्ट्र के जलगांव में पवार ने अपने वक्तव्य का बचाव करते हुए कहा था -‘100 फीसदी सही बात है। मैंने ऐसा किया था। उस वक्त जिन जगहों पर धमाके हुए थे, वो हिन्दू समुदाय के लिए अहम जगहें थीं। इनमें सिद्धिविनायक मंदिर भी शामिल था। मैंने धमाके में इस्तेमाल मैटेरियल को खुद चेक किया था और ये प्रोडक्ट भारत नहीं बल्कि कराची में ही बनते थे। इसका मतलब था कि पड़ोसी देश में बैठे लोग हिन्दू-मुस्लिम में दंगे कराना चाहते थे और मुंबई को जलाना चाहते थे। इसीलिए मैंने मुहम्मद अली रोड के रूप में एक और जगह जुड़वाई। इसी वजह से बाद में सांप्रदायिक दंगे नहीं हुए।’

शरद पवार अपनी बात को सही साबित करने के लिए जस्टिस श्रीकृष्ण आयोग की जांच का भी जिक्र करते हैं। उन्होंने कहा था – ‘आयोग ने अपनी जांच में स्वीकार किया था कि यदि मैंने यह स्टैंड नहीं लिया होता तो मुंबई जल गई होती।’ हालांकि कई बार की सफाई के बावजूद पवार के सामने ये झूठ बार-बार आ ही जाता है। पवार को हर बार इसका जवाब देना पड़ता है। अब शायद एक बार फिर वह चुनाव से पहले इसे लेकर सफाई देते नजर आएं।

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