रांची, 15 मई। झारखण्ड के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने लगातार दूसरे दिन बुधवार को छह घण्टे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया। ईडी के सूत्रों ने शाम को बताया कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता 70 वर्षीय आलम को 35 करोड रुपये से अधिक नकदी मिलने के बाद निविदा से जुड़े घोटाले के आरोप में धनशोधन अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया है।
आलम से मंगलवार को भी 9 घंटे तक पूछताछ हुई थी
उल्लेखनीय है कि ईडी ने आलम को गत 12 मई को समन भेजा था और उनसे मंगलवार को भी लगभग नौ घंटे तक पूछताछ की गई थी। आलम को धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपना बयान दर्ज कराने के लिए मंगलवार को रांची में ईडी के क्षेत्रीय कार्यालय में पेश होने के लिए कहा गया था। धनशोधन की जांच राज्य के ग्रामीण विकास विभाग में कथित अनियमितताओं से संबंधित है।
आलम के निजी सचिव को नौकर सहित पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है
इससे पहले निदेशालय ने गत पांच और छह मई को रांची में कई स्थानों पर छापेमारी की थी। आलमगीर के निजी सचिव संजीव लाल के नौकर जहांगीर आलम के घर से 35 करोड रुपये से अधिक नकदी जब्त की गई थी। संजीव लाल और जहांगीर आलम को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।
ईडी ने अब तक लगभग 36.75 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की है
ईडी ने लगभग 36.75 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की है। इस क्रम में एजेंसी ने पिछले मंगलवार को एक ठेकेदार के परिसर से 1.5 करोड़ रुपये के अलावा लाल के ठिकाने से 10.05 लाख रुपये सहित अन्य स्थानों से लगभग तीन करोड़ रुपये जब्त किए थे।
सितम्बर, 2020 से चल रहा यह धन शोधन केस
उल्लेखनीय है कि सितम्बर, 2020 का धन शोधन मामला राज्य ग्रामीण कार्य विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता वीरेंद्र कुमार राम और अन्य के खिलाफ झारखंड पुलिस की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा द्वारा दर्ज मामले और दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा मार्च 2023 में दर्ज की गई प्राथमिकी पर आधारित है।
ईडी ने राम को पिछले वर्ष गिरफ्तार किया था। ईडी ने दावा किया है कि राम निविदा आवंटन समेत अन्य संबंधित कार्यों के लिए ‘कमीशन इकट्ठा’ करते थे और 1.5 प्रतिशत का यह कमीशन उनके वरिष्ठों और राजनेताओं के बीच ‘वितरित’ किया जाता था। ईडी ने अदालत के समक्ष आरोप लगाया था कि राम ने सितम्बर 2022 में लाल को ‘कमीशन’ की रकम सौंपी थी।